पश्चिमी दिल्ली: दिल्ली में बारिश का मौसम सिर पर है और एमसीडी है कि अभी तक गहरी नींद में सोई हुई है। हम बात कर रहे दिल्ली में बहने वाले बरसाती नालों की जिनकी सफाई पूरी तरीके से अभी तक नहीं हो पाई है। एमसीडी की पोल पिछले दिनों उस वक्स भी खुल गई थी जब दिल्ली में मात्र कुछ ही घंटों की बारिश के कारण सड़कों पर कई-कई फीट पानी भर गया था। नाले जहां ओवरफ्लो हो गए थे, वहीं नालियां पूरी तरह से जाम हो गई थी। जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को झेलना पड़ा था। निगम का अपना ही काम अब तक पूरा नहीं है और निगम इसका सारा ठीकरा सरकार पर फोडऩे में जुटी हुई है। इनकी सफाई के लिए करोड़ों का फंड रखा जाता है, ऐसे में यह सलाव उठता है कि जब सफाई नहीं होती तो सारा फंड कहां जाता है?
हालांकि एमसीडी अपनी ओर से सफाई काम पूरा करने और नालों से गाद निकालने का दावा तो कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है। नव निर्वाचित निगम पार्षदों को अभी तक अपने काम की ही जानकारी नहीं है। यह सभी पार्षद सफाई संबंधी कामों को छोड़कर अभी तक वार्डों और कमेटियों में पद पाने की जुगत लगे हुए हैं। जबकि निगम सारा ठीकरा दिल्ली सरकार पर फोड़ रही है कि पीडब्ल्यूडी के नालों की अभी तक सपाई नहीं हुई है। ऐसे में इनके नौसिखिएपन का खामियाजा दिल्ली की जनता भुगत रही है। यदि यही स्थिति आगे भी रही तो इस मॉनसून के मौसम में लोगों का घरों से निकलना दुश्वार हो सकता है।
हाल ही में दिल्ली में सफाई व्यवस्था और गंदगी के चलते बीमारी व समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने तीनों नगर निगमों को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए निगमों से कहा था कि अपने कामों में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की भी बात कोर्ट ने कही थी। इससे पहले कोर्ट नियमित रूप से साफ-सफाई कराने का झूठा हलफनामा पेश करने पर निगमों को फटकार भी लगाई थी। हाईकोर्ट का कहना था कि साफ- सफाई के लिए कर्मचारियों को सही मात्रा में उपकरण मुहैया करा पाने में भी निगम विफल रहा है।
– राजेश रंजन सिंह