चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस खारिज होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के ही दो जजों ने उन्हें चिट्ठी लिखकर फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने की मांग की है। हालाँकि विपक्ष की महाभियोग की नोटिस को सोमवार को उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन वैंकैया नायडू खारिज कर चुके हैं। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन लोकुर ने CJI दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखी है। दो लाइनों की इस चिट्ठी के जरिये सीजेआई से फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने की मांग की गई है। कहा गया है कि संस्थानिक मुद्दों व अदालत के भविष्य पर विचार करने की जरूरत है, लेकिन चीफ जस्टिस ने इसका कोई जवाब नहीं दिया है।
सूत्र बताते हैं कि जब बीते सोमवार को चाय पर चर्चा के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों ने फुल कोर्ट का मुद्दा उठाया, तब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा इस पर गंभीर नहीं दिखे। जब न्यापालिका से जुड़े सार्वजनिक महत्व के मुद्दे सामने आते हैं तब मुख्य न्यायाधीश की ओर से फुल कोर्ट बनाई जाती है। बता दें कि 21 मार्च को वरिष्ठतम जजों में से एक जस्टिस चेलमेश्वर ने सभी जजों को पत्र लिखकर कहा था कि जजों की नियुक्ति में सरकार की दखलंदाजी पर फुल कोर्ट में बहस हो। उन्होंने यह पत्र सरकार की ओर से कर्नाटक के एक जज के खिलाफ जांच कराने की मांग के बाद लिखा गया था, जिस जज को कोलेजियम ने हाई कोर्ट में तैनाती की सिफारिश दी थी।
हालांकि चीफ जस्टिस ने इस पत्र का भी जबाव नहीं दिया था। जस्टिस चेलमेश्वर ही नहीं बल्कि जस्टिस कुरियन जोसेफ ने हाल में नौ अप्रैल को चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर सात जजों की बेंच बनाकर जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की सिफारिशों पर सुनवाई की मांग की थी। कोलेजियम ने जस्टिस केएम जोसेफ और इंदु मल्होत्रा के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की थी, मगर सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी। जिस पर जस्टिस कुरियन जोसेफ ने विरोध जताया। बता दें कि चीफ जस्टिस को लगातार पत्र लिखने वाले चार जज जनवरी में प्रेस कांफ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट में केसों के आवंटन में पारदर्शिता न होने का आरोप लगा चुके हैं।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें।