नई दिल्ली : करोल बाग इलाके में 108 फीट ऊंची हनुमान मूर्ति को लेकर अब नया विवाद खड़ा हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम ने हनुमान मूर्ति को अपनी जमीन पर होने से इनकार किया है। नगर निगम ने हाईकोर्ट को बताया कि जिस जमीन पर 108 फीट ऊंची हनुमान मूर्ति है दरअसल वो एनडीएमसी के क्षेत्राधिकार में है। नगर निगम के इस जवाब पर हैरानी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इतनी सुनवाई के बाद नगर निगम को ये समझ आया कि जिस इलाके की बात हो रही है वो इनके क्षेत्र में ही नहीं है। हाईकोर्ट ने नगर निगम की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया।
साथ ही एनडीएमसी से भी ये जानकारी मांगी की करोल बाग की जिस जमीन पर हनुमान मूर्ति बनी है वो इलाका किसके क्षेत्र में आता है। नगर निगम का ये जवाब तब आया जब पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने उन अधिकारियों की लिस्ट निगम से मांगी जो इस मूर्ति के निर्माण के दौरान करोल बाग इलाके में कार्यरत थे। मामले की सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की बेंच ने नगर निगम की दलील को अस्वीकार कर दिया साथ ही एनडीएमसी को भी पार्टी बनाकर ये बताने को कहा कि जमीन किसका पर क्षेत्राधिकार है। कोर्ट ने एनडीएमसी से जानकारी मांगी है कि जिस जमीन पर हनुमान मूर्ति है उसपर बिजली पानी का कनेक्शन किस डेट को दिया गया किस आधार पर दिया गया।
इसके अलावा निगम को भी एक हफ्ते के अंदर उस दौरान करोल बाग इलाके में कार्यरत अधिकारियों की सूची देने को कहा है। साथ ही मंदिर के ट्रस्ट को भी जमीन के अधिकार, अलॉटमेंट, और निर्माण संबंधी कागजात दिखाने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने मंदिर के ट्रस्ट की तरफ से कही गयी एक बात पर भी नाखुशी जाहिर की। दरअसल ट्रस्ट के वकील ने कहा कि ये हनुमान मूर्ति दिल्ली के धरोहर है। जिस पर बेंच ने कहा कि अवैध कब्जा धरोहर नहीं हो सकता। अदालत ट्रस्ट की तरफ से कही गयी बातों से भी सहमत नहीं हुई। दरअसल ट्रस्ट ने कहा कि ये जमीन 1821 में नगा साधुओं के अधिकार में थी जिनमे से कुछ साधुओं की यहा पर समाधि भी है।
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