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1000 करोड़ की रिकवरी क्यों नहीं कर पा रहा उत्तरी निगम?

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नई दिल्ली: दिल्ली की आम जनता को आए दिन निगम की ओर से नोटिस जारी किए जाते हैं, कभी प्रॉपर्टी टैक्स न भरने का, कभी कंवर्जन चार्ज न भरने का, कभी अवैध निर्माण न करने का। नोटिस की अवहेलना करने पर दिल्ली की जनता को निगम के मोटे जुर्माने का भुगतान करना पड़ता है, लेकिन यह सब नियम-कानून धरे रह जाते हैं जब मामला उत्तरी और दक्षिणी निगम के बीच आकर फंसता है।

प्रयासों के नाम पर हुई सिर्फ खानापूर्ति
दरअसल, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम का लगभग 1 हजार करोड़ रुपए बकाया है। ट्राइफिकेशन के बाद से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मालिकाना हक वाले सिविक सेंटर में किराये पर चल रहा है। बीते छः सालों में इसका किराया और लाइसेंसिंग फीस मिला कर एक हजार करोड़ से अधिक की रकम दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की ओर निकलती है। जिसे लेने के लिए उत्तरी निगम की ओर से प्रयास किए तो गए, लेकिन महज खानापूर्ति के लिए। बीते सालों में उत्तरी निगम की ओर से सिर्फ दो बार निगम को नोटिस भेजा गया है और सिर्फ एक बार उत्तरी निगम के नेताओं की ओर से दक्षिणी निगम को लेटर लिखा गया है।

सील किया गया था कमिश्नर का ऑफिस
निगम से मिली जानकारी के मुताबिक दक्षिणी निगम के आयुक्त का सचिव कार्यालय सील किया जा चुका है। दक्षिणी दिल्ली के तत्कालीन महापौर रहे श्याम शर्मा ने सील को तोड़कर कार्यालय खोला था। निगम की इस कार्रवाई के बाद दोनों निगमों के भाजपा नेताओं के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी। तब से लेकर अब तक यह मामला शांत रहा था अब फिर से सिविक सेंटर का मामला गर्माने लगा है। पूर्व महापौर डॉ. संजीव नैयर के कार्यकाल में यह कार्रवाई की गई थी। 1 सितंबर 2016 को उत्तरी निगम ने आखिरी बार दक्षिणी निगम को लगभग 810 करोड़ रुपए का नोटिस दिया गया था। इससे पहले 2015 में 510 करोड़ रुपए का नोटिस दिया गया था। गौरतलब है सिविक सेंटर के ई-ब्लॉक में 14 मंजिल दक्षिणी निगम के पास हैं, तो वहीं ए-ब्लॉक में भी लगभग ढाई मंजिलों का उपयोग दक्षिणी निगम कर रहा है।

भाजपा चाहे तो दूर हो सकती है निगम की बदहाली
खुद भाजपा के नेता इस बात को मान रहे हैं कि वे इस मुद्दे को पार्टी फोरम पर उठा रहे हैं। अगर प्रदेश नेतृत्व चाहे तो इस समस्या को जल्द से जल्द हल करवा सकता है। दक्षिणी निगम अगर उत्तरी निगम को एक हजार करोड़ रुपए देता है तो निगम के लगभग सभी एरियर खत्म हो जाएंगे, ठेकेदारों की पेमेंट हो जाएगी, सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू की जा सकती है।

बेहद कम समय में मिट सकती है निगम की तंगहाली
मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के नेता मुकेश गोयल का कहना है कि दिल्ली नगर निगम दिल्ली सरकार पर फंड न देने का आरोप लगाती है, लेकिन अपनी पार्टी की ही नगर निगम से इन्होंने आज तक रिकवरी नहीं की है। मुकेश गोयल ने बताया कि अगर भाजपा चाहे तो बेहद कम समय में निगम की तंगहाली मिट सकती है।

– सज्जन चौधरी

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