वन्य जीव संरक्षण कानून में परिवर्तन की उठी मांग - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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वन्य जीव संरक्षण कानून में परिवर्तन की उठी मांग

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रायपुर  छत्तीसगढ़ विधानसभा में सदस्यों ने जंगलों से निकल कर इंसानों पर वन्य जीवों के हमला करने के मामलों में वन्य जीव सरंक्षण कानून में परिवर्तन कर उसे अपराध की श्रेणी में नही लिये जाने की मांग की। कांग्रेस सदस्य सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू समेत कई सदस्यों ने प्रश्नोत्तरकाल के दौरान कहा कि जंगल के बाहर निकलकर जंगली जानवर इंसानों पर हमले कर रहे है और आत्म रक्षा में इंसानो द्वारा मारे जाने पर उन पर वन्य जीव अधिनियम के तहत कार्रवाई हो रही है।

उन्होंने कहा कि जंगल के भीतर तक ही इस कानून को सीमित रखा जाना चाहिए,और आत्मरक्षा के मामलों में कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। कुछ सदस्यों ने जंगली सुअरों के जंगल से बाहर निकलकर इंसानों पर किए जा रहे हमले एवं उससे होने मौते तथा आत्मरक्षा में मारने पर दर्ज हो रहे मामलों का विशेष रूप से उल्लेख किया।वन मंत्री महेश गागड़ ने स्वीकार किया कि जंगलों से निकाल कर इंसानों पर वन्य जीवों के हमला करने की कई घटनाएं हुई है।

उन्होने सदस्यों की वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में किसी फेरबदल से यह कहते हुए असमर्थता जताई कि यह केन्द्रीय कानून है। वन मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय भी वन्य जीवों के सरंक्षण के प्रति काफी गंभीर है। कांग्रेस सदस्य सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि वन्य जीवों से जानमाल की सुरक्षा के लिए मारने का परमिट लोगों को दिया जाना चाहिए,पंजाब सरकार ने ऐसा किया हैं। धनेन्द्र साहू ने कहा कि जंगल से बाहर आत्मरक्षा में कोई भी वन्य जीवों को मारता है तो उसे अपराध की श्रेणी में नही लिया जाना चाहिए।

शर्मा के प्रश्न के उत्तर में इससे पूर्व वन मंत्री ने बताया कि 2015-16 एवं दिसम्बर 18 तक वन्य प्राणियों से फसलों के नुकसान की 9470 शिकायते प्राप्त हुई तथा वन्य जीवों की हत्या के 137 प्रकरण दर्ज हुए। श्री शर्मा ने कहा कि इन सभी मामलों में निर्दोष लोगो को अपराधी बना दिया गया है। उन्होंने आत्मरक्षा में वन्य जीवों के मारा। उन्होंने इन सभी मामलों की निष्पक्षता से जांच करवाने की मांग की। वन मंत्री ने कहा कि इनमें कई मामले न्यायालय में विचाराधीन है,जिसे वह कुछ नही कर सकते लेकिन जिन मामलों की जांच चल रही है और कोई विशेष मामला अगर उनके संज्ञान में है तो उसकी दुबारा जांच करवाई जा सकती है।

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