नयी दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज कहा कि भारत में एक साथ चुनाव कराने की मूल अवधारणा ‘‘आधारभूत रूप से लोकतंत्र विरोधी’’ और ‘‘अव्यवहारिक’’ है। पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए विधायिका के प्रति सरकार की जवाबदेही की संवैधानिक व्यवस्था के साथ बदलाव की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराये जाने के खिलाफ तर्क तकनीकी नहीं है या यह अव्यावहारिक है।’’
करात ने कहा, ‘‘इस अवधारणा पर मुख्य आपत्ति यह है कि यह लोकतंत्र विरोधी है और संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ों पर हमला है।’’ देश की संघीय प्रणाली का जिक्र करते हुए वाम नेता ने कहा, ‘‘केवल एक संघीय व्यवस्था हमारे जैसे देश में राजनीतिक लोकतंत्र को बनाए रख सकती है जिसकी व्यापक राजनीतिक विविधता है।’’ भाजपा के नारे ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर उस पर निशाना साधते हुए करात ने कहा कि ‘‘संविधान में बदलाव’’ करके एक साथ चुनाव कराये जाने की अवधारणा से केवल ‘‘केंद्रीकृत निरंकुशता’’ को बढ़ावा मिलेगा और इसका ‘‘कड़ाई से विरोध’’ किया जाना चाहिए।
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