मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाताओं का मामला तूल पकड़ता जा रहा है शनिवार को कलेक्टरों द्वारा चुनाव आयोग को भेजी रिपोर्ट में करीब सात लाख वोटर फर्जी निकले हैं ।
कहा जा रहा है कि इन सात लाख लोगों में 3 लाख मृतक हैं जबकि 4 लाख लोग गुमनाम हैं। वक्त रहते ये गड़बड़ी पकड़ ली गई नहीं तो बोगस वोटिंग के जरिए ये चुनावों के परिणाम बदल सकते थे। चुनाव आयोग ने इसके लिए सख्त निर्देश दिए थे जिसके बाद विभिन्न जिलों से जानकारियां भेजी गईं। इन रिपोर्ट्स के आधार पर मृतकों और गुमनामों की संख्या कई गुना बढ़ने की संभावना भी जताई जा रही है।
बता दें कि मध्यप्रदेश स्टेट इलैक्ट्रोनिक्स डेवेलेपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीएसईडीसी) का काम मुख्यमंत्री सचिवालय से जुड़ा होता है। साथ ही जो मुख्यमंत्री का सचिव होता है वही आईटी का भी सचिव होता है। भाजपा का यह ग्रुप वोटिंग लिस्ट पर नजर रखाता है। आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दूबे का कहना है कि 51 जिलों में 37 लाख वोट फर्जी हो सकते हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत 9 और 10 अप्रैल को मध्यप्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह 9 अप्रैल को इंदौर और 10 अप्रैल को भोपाल की वोटर लिस्ट में रिवीजन के काम को देखेंगे।
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