छत्तीसगढ़ में केन्द्र सरकार के निर्देशों के बाद रियल इस्टेट रेग्युलेटरी अथारिटी के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। राज्य सरकार ने इस मामले में रेरा के अध्यक्ष के तौर पर किसी न्यायधीश को ही नियुक्त करने के संकेत मिल रहे हैं। राज्य में बिल्डरों एवं कालोनाइजरों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार की कवायदों को अहम माना जा रहा है। रेरा के गठन होने तक राज्य में कालोनाईजरों एवं बिल्डरों को नगर एवं ग्राम निवेश विभाग में अस्थाई पंजीयन कराना होगा। रेरा के मामले में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के बाद प्रदेश में बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगने की संभावना है।
वर्तमान में राजधानी समेत अन्य जिलों में बिल्डरों ने मनमानी करते हुए उपभोक्ताओं को चपत लगाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। इस मामले में राज्य शासन स्तर पर भी कई शिकायतें हुई हैं। अभी भी बड़ी तादाद में मामले न्यायालय में चल रहे हैं। रेरा को पूरी तरह सिविल न्यायालय के अधिकार दिए जाएंगे।
वहीं प्राधिकरण के गठन के बाद आवासीय एवं कारोबारियों के लेनदेन पर पूरी तरह नजर रखी जाएगी। रेरा के अस्तित्व में आते ही डेवलपर्स केवल वे ही प्रोजैक्ट में कारोबार कर पाएंगे जो पंजीकृत होंगे। इसके अलावा आवासीय मामले में प्रोजैक्ट से संबंधित सभी जानकारी सीधे खरीददार को मिल पाएगी।
अब तक ज्यादातर मामलों में बिल्डर तथ्यों को छिपाकर रखते रहे हैं। रेरा के गठन के बाद आदेशों की अवहेलना की स्थिति में संबंधित बिल्डर्स के खिलाफ कड़ी सजा के भी प्रावधान किए गए हैं। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग को आवेदन भेजने की मियाद 30 सितंबर तय की गई है।