मुरैना : शहर के विकास की योजनाओं में चाहे सीवर प्रोजेक्ट का काम हो अथवा नाला नं. 1 का पटाव या फिर बीआईपी रोड़ ही क्यूं न हो। इनके निर्माण से शहर के सौंदर्यीकरण में निश्चित ही चार चांद लग जायेंगे। लेकिन इन तीनों कार्यों के निर्माण में अतिक्रमण पूरी तरह रोड़ा बना हुआ है। इसके अलावा अतिक्रमण के कारण ही आगरा-मुम्बई राजमार्ग एमएस रोड नैनागढ़ रोड और वनखण्डी रोड जैसे प्रमुख मार्ग आम जनता की सुविधा नहीं बन पा रहे हैं। प्रशासनिक व्यवस्था की नाकामी कहें या सरकार के नुमाईंदों की असफलता लेकिन विकास कार्यों की योजनाओं में अतिक्रमण को हटाना कोई भी प्रारंभ नहीं कर पाया।
इसके कारण वनखण्डी रोड का अधूरा विकास हुआ और आज नाला नं. 1 हांसिए पर पिछले तीन अधिकारी आईएस और आईपीएस अधिकारी सरकार के प्रतिनिधियों के साथ योजना बनाकर चले गए, लेकिन शहर के सौंदर्यीकरण के लिए अतिक्रमण हटाने पर विचार नहीं कर पाये। वर्तमान में पदस्थ हुए आईएस अधिकारी कलेक्टर भरत यादव के सामने सवाल खड़ा है।
प्रमुख रूप से शहर के बीच से गुजरी एमएस रोड जिस पर यातायात का बहुत बडा भार रहता है। इसके इर्द-गिर्द नाले से पीछे फुटपाथ और पार्किंग व्यवस्था की योजना लंबे समय से लंबित है। इसके कारण आज भी यह पूरा रोड अतिक्रमण से घिरा है और वाहनों की संख्या बढने के कारण आये दिन जाम की स्थिति हर मोड पर बनी रहती है। इसी तरह शहर के एक तरफ महादेव नाके से गोपीनाथ की पुलिया होते हुए वेयर हाउस, माधवपुरा रोड होते हुए सीधे नैनागढ रोड़ एबी रोड को टच करता है।
यह मार्ग भी अतिक्रमण के कारण पूर्ण आकार में नहीं बना सका। ठीक इसी तरह वनखण्डी रोड जो शहर के यातायात को विभाजित कर सकता था उसको अतिक्रमण के कारण ही संकुचित कर दिया गया। जब कि उत्कृष्ट मार्ग के नाम पर स्वीकृत हुई राशि किसी दूसरे व्यय में लगा दी गई। शहर का यह बहुत बडा दुर्भाग्य है विकास के नाम पर जो भी योजना स्वीकृत कर धन राशि आती है उसे ठेकेदार निगम और तमाम वो लोग जो आपत्ति उठाने के नाम पर धन उगाही कर लेते हैं और अपने महत्वपूर्ण विकास को कुचल देते हैं।
अतिक्रमण के कारण ही आज 21 करोड की लागत से बन रहा नाला नं. 1 की योजना संदेह के घेरे में खडी है। नाले के दोनों तरफ अतिक्रमण हटाने का कार्य किया जाता है तो नाले का आकार लगभग 100 फुट से कम नहीं होगा जिसमें डिवाइडर लगकर अच्छा खासा हाईवे तैयार हो सकता है जो समूचे शहर की यातायात व्यवस्था को अपने आघोष में समेट सकता है। लेकिन अतिक्रमण के नाम पर प्रशासन के अधिकारी बगैर राजनेताओं की सलाह से आगे नहीं बढ पाते। इस कारण शहर वो विकास नहीं पाता जिसकी शहर को आवश्यकता है।
पता चला है कि नाला नं. 1 के निर्माण में नाले पर अतिक्रमण किए हुए कई दिग्गज नेताओं को और अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर सूचित भी कर दिया गया है लेकिन वो अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं है। यह तो अतिक्रमण की ज्यादती शायद समझदार अफसरों और मंत्री और जनप्रतिनिधयों को आती होगी लेकिन वो इस ओर कदम क्यूं नहीं बढा पाते ये तो वो ही जाने।
मजे की बात तो यह है कि शहीद विस्मिल संग्रालय के बगल से सीधा रोड, एबी रोड के लिए प्रस्तावित किया गया जिसमें काफी शासकीय कार्यालय और विभागों के दफ्तर खोलने की योजना बनाई गई लेकिन सरकार के मंत्री और सांसद विधायक, जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस व्हीआईपी रोड के लिए सरकारी अतिक्रमण हटाने की मंजूरी तक नहीं ले पाये और अधूरा पड़ा कार्य आने वाली बरसात के दिनों में मुसीबत का संदेश देता हुआ खड़ा है। सीवर प्रोजेक्ट में भी अतिक्रमण के कारण कई अडचने आ रही हैं जिसमें कोई मददगार सामने नहीं आ रहा है। छोटी-छोटी संकरी गलियां, क्रॉसिंग रोडों पर अतिक्रमण के कारण सीवर को निकालना निर्माण एजेंसी के लिए भी मुसीबत बना हुआ है।
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