ऑटो, टैक्सी और ई रिक्सा चालकों को केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने बड़ी राहत दी है। केंद्र के फैसले के अनुसार अब ऐसे ड्राइवर्स अपने निजी ड्राइविंग लाइसेंस के जरिए भी कमर्शियल गाड़ियां जैसे कि ई-रिक्शा, बाइक, तिपहिया और छोटे लोडर वाहन चला सकेंगे। हालांकि ट्रक, बस और अन्य भारी वाहनों के अभी भी अलग ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत होगी। परिवहन मंत्रालय ने दिल्ली समेत सभी राज्यों के लिए नई एडवाइजरी जारी की है।
सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने के लिए आदेश दिया था। सरकार के इस कदम लाखों लोगों को रोजगार मिल सकेगा। अभी तक कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस न होने की वजह से लोग इस तरह के कारोबार में नहीं आ पाते थे। कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए लोगों को कम से कम एक साल का इंतजार करना पड़ता था।
सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से आरटीओ ऑफिस में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। हालांकि सरकार के इस कदम से पहले से बेहाल सड़कों पर गाड़ियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी, क्योंकि ऐसी गाड़ियों को चलाने वाले लोग काफी संख्या में वाहन लेकर निकलेंगे। मंत्रालय ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2007 में दिए गए एक आदेश के बाद लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2007 में कहा था कि गाड़ी का बीमा वाहन श्रेणी से संबंधित होता है, इसका लाइसेंस से कोई संबंध नहीं है। परिवहन मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, ‘इससे कमर्शियल लाइसेंस बनाने में हो रहा बड़े स्तर का भ्रष्टाचार खत्म होगा। राज्यों को कर्मिशयल वाहनों के लिए अलग से लाइसेंस जारी करने होंगे।’
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