असम की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे सिद्दिक अहमद को भारतीय नागरिकता के दावे के लिए फिर से वेरीफिकेशन कराने के लिए कहा गया है। साथ ही उन्हें अपना नाम 1951 के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस में शामिल कराने के लिए कहा गया है। 1951 के एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। 53 वर्षीय अहमद करीमगंज दक्षिण विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वह 2001 से 2011 तक विधायक रहे। अहमद करीमगंज जिले के पाथेरकांडि पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले गांव धालोपार के रहने वाले हैं।
अहमद ने कहा मुझे 2 दिसंबर को नोटिस मिला। एनआरसी अधिकारियों ने कहा कि वे रीवेरीफिकेशन के लिए गुरुवार को मेरे घर का दौरा करेंगे। मुझे कोई जानकारी नहीं है कि मेरे नाम पर रीवेरीफिकेशन ऑर्डर क्यों जारी किया गया है। मैंने एनआरसी में अपना नाम जुड़वाने के लिए जो आवेदन किया था उस वक्त सभी दस्तावेज सौंप दिए थे।
यह हैरान करने वाला है। अहमद का आरोप है कि उन्हें जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है क्योंकि उनके किसी रिश्तेदार को इस तरह का नोटिस नहीं मिला है यह मेरे खिलाफ साजिश है। अहमद ने कहा कि पूर्व में भी असल नागरिकों को भी इस तरह के नोटिस जारी किए गए थे। यहां तक कि पुलिस व सैन्य बलों के कर्मियों को भी नहीं छोड़ा गया। अहमद ने आरोप लगाया कि आम लोगों को प्रताडि़त किया जा रहा है।
अहमद का कहना है कि उनके भाईयों को इस तरह का कोई नोटिस नहीं मिला है। मेरे पिता अब्दुल रकीब का नाम 1951 एनआरसी में शामिल था उसके आधार पर अब अपडेशन हो रहा है। उनका नाम भी 1966 की मतदाता सूचियों में शामिल था। मैंने अपने पूर्वजों के नाम पर रजिस्टर्ड जमीन के दस्तावेज सौंपे थे।
1832 में मेरे पूर्वजों के नाम जमीन का रजिस्ट्रेशन हुआ था। आपको बता दें कि अहमद को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने मिनिस्ट्री से ड्रॉप कर दिया था। 2016 के विधानसभा चुनाव में एआईयूडीएफ के उम्मीदवार अजीज अहमद खान ने अहमद को हरा दिया था। अहमद करीमगंज जिले के उन 86 हजार अन्य आवेदनकर्ताओं में शामिल हैं जिनके दस्तावेज 1 दिसंबर से वेरिफाइड हो रहे हैं। 86 हजार में से 16 हजार अकेले पाथेरकांडि सर्किल से हैं।
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