नई दिल्ली : सरकार को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) तथा त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम :एआईबीपी: के तहत चिन्हित 99 परियोजनाओं को निर्धारित समय से पहले पूरा कर लिया जाएगा और इस दिशा मेें एजेंसियां प्रतिबद्धता से पहल कर रही है।
जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पीएमकेएसवाई तथा एआईबीपी के अंतर्गत 99 चिन्हित परियोजनाओं को तय खाके के अनुरूप आगे बढ़ाया जा रहा हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के क्षेत्र में खास तौर पर काफी अच्छी गति से काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने दिसंबर 2019 तक इन सभी परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा था लेकिन जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उससे हमें उम्मीद है कि यह लक्ष्य से पहले पूरा हो जायेगा।
इन परियोजनाओं में से 23 परियोजनाओं को प्रथम प्राथमिकता के तहत 2016-17 तक पूरा करने के लिए चिन्हित किया गया है जबकि 31 अन्य परियोजनाओं को द्वितीय प्राथमिकता के तहत 2017-18 तक और शेष 45 परियोजनाओं को तृतीय प्राथमिकता के तहत दिसंबर 2019 तक पूरा करने के लिए चिन्हित किया गया है।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीएमकेएसवाई तथा एआईबीपी के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा 3,274 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं।
नाबार्ड ने आंध, प्रदेश की पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए 1,981 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 830 करोड़ रुपये तथा गुजरात को 463 करोड़ रुपये विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता के रूप में जारी किए गए है।
एआईबीपी की 99 परियोजनाओं में से 26 परियोजनाएं महाराष्ट्र में, 8 आंध, प्रदेश में और एक गुजरात में है। महाराष्ट्र की 7 परियोजनाएं प्राथमिकता श्रेणी की परियोजनाएं हैं।
शेष 19 परियोजनाएं प्राथमिकता 3 श्रेणी की हैं। आंध, प्रदेश में सभी 8 परियोजनाएं प्राथमिकता- 2 श्रेणी की है। गुजरात में एक मात्र परियोजना सरदार सरोवर है और यह प्राथमिकता- 3 श्रेणी की परियोजना है। इस परियोजना के 2018 तक पूरा होने की संभावना है और इसकी लक्षित सिंचाई क्षमता 1792 हजार हेक्टेयर क्षेत्र है।
पीएमकेएसवाई…एआईबीपी के अंतर्गत प्राथमिकताओों सहित परियोजनाओं को लागू करने संबंधी विषयों पर छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री बृज मोहन अग्रवाल की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा विचार किया गया। संबंधित राज्यों द्वारा समिति को दी गई जानकारी के अनुसार 99 परियोजनाओं को 2019-20 तक पूरा करने के लिए चिन्हित किया गया था।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ परियोजनाओं के अधूरा रह जाने का प्रमुख कारण संबंधित राज्य सरकारों द्वारा धन का उचित प्रावधान नहीं करना है । इसके परिणामस्वरूप इन परियोजनाओं का बड़ा धन पड़ा रह गया और परियोजना लाभ हासिल नहीं किया जा सका।
जल संसाधन मंत्रालय ने इसे चिंता का विषय बताया है और इसका राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में समाधान निकालने की आवश्यकता है । इन परियोजनाओं के पूरा होने से 76.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को फायदा होगा ।
– भाषा