उच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए राज्य सरकार विभिन्न विभागों के अन्तर्गत बंदोबस्त होने वाले तालाबों को पशु एवं मत्स्य विभाग को सौपे। ताकि सूबे में नीली क्रांति का सपना सकार किया जा सके। वर्तमान में मत्स्य विभाग द्वारा लगभग 70,000 तालाब मछुआ समितियों के माध्यम से बंदोबस्त किए जाते हैं। लेकिन लगभग 10,000 से अधिक तालाब हैं जो सिचाई, कृषि, वन एवं पर्यावरण, स्वास्थ्य विभाग द्वारा बंदोबस्त किए जाते हैं।
कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक सह निदेशक फिशकोफेड ऋषिकेश कश्यप का कहना है कि उससे सरकार को मामूली राजस्व की प्राप्ति होती है। अन्य विभाग मछली उत्पादन पर फोकस नहीं कर पाते हैं, लेकिन मत्स्य विभाग का मुख्य उद्देश्य मछली का उत्पादन बढ़ाकर नीली क्रांति का सपना सकार करना है।
वर्तमान में राज्य पूरी तरह मछली उत्पादन के लिए आंध्रप्रदेश पर निर्भर है। ऐसे में सभी विभागों के अन्तर्गत बंदोवस्त होने वाले तालाब मत्स्य विभाग के अन्तर्गत आते हैं, तो इससे मछुआरों को काफी लाभ होगा। गरीब मछुआरों को रोजगार के साधन विकसित होंगे। साथ ही प्रदेश में मछली का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेंगी।
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