GST: सस्ती चीजें महंगी बेचीं तो खैर नहीं, एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी के गठन की मंजूरी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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GST: सस्ती चीजें महंगी बेचीं तो खैर नहीं, एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी के गठन की मंजूरी

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जीएसटी काउंसिल ने करीब 200 चीजों की दरों में बदलाव और कटौती की थी, जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि ये सब चीजें और सेवाएं सस्ती हो जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई चीजों और सेवाओं के दाम बढ़ा दिए गए यानि ग्राहक का बिल जस का तस है। ऐसे में अब सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए नेशनल एंटी प्रॉफिटिंग अथॉरिटी बनाने का ऐलान किया है।

सरकार ने घोषणा की कि वो जीएसटी के तहत नेशनल एंटी प्रॉफिटिंग अथॉरिटी बनाएगी ताकि टैक्स में जो कटौती की गई है। उसका फायदा लोगों तक मिल सके। रेस्टोरेंट सहित करीब पौने दो सौ सामान और सेवाओं पर जीएसटी घटाया गया है। दिल्ली में करीब दस हजार रेस्टोरेंट हैं। जहां खाने पर अब तक आपको 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता था, लेकिन गुरुवार को सरकार ने जीएसटी कम करके 5 फीसदी कर दिया।

आनंदाज रेस्‍टोरेंट के मालिक आनंद गुप्ता का कहना है कि सरकार ने पांच फीसदी इनपुट टैक्स क्रेडिट को खत्म कर दिया है। इसका असर आने वाले वक्त रेस्टोरेंट में खाने की कीमत पर भी पड़ सकता है। उधर, बीजेपी के नेता किरीट सोमैया ने सरकार को पत्र लिखकर शिकायत की है कि मुंबई के कुछ रेस्टोरेंट लोगों को इस छूट का फायदा नहीं दे रहे हैं, लेकिन रेस्टोरेंट एसोसिएशन इस बात को नकार रहा है।

दिल्ली होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट संदीप खंडेलवाल का कहना है कि घरेलू उपयोग के 178 सामानों पर भी जीएसटी घटा है, लेकिन इसका फायदा आम लोगों को मिलने में कुछ वक्त लगेगा। दुकानदारों का कहना है कि पुराने माल पर कंपनी से जब बिलिंग पुरानी हुई है तो कम करके वो कैसे दे सकते हैं।

ऐसे कर सकते हैं शिकायत ?
  •  अगर किसी कस्टमर को लगता है कि GST के तहत उससे ज्‍यादा पैसे लिए गए हैं तो वह इसकी शिकायत वह NAA की स्‍क्रीनिंग कमेटी के सामने कर सकता है।
  • कस्टमर को यह शिकायत उसी राज्‍य में करनी होगी, जहां से जुड़ा यह मामला होगा।
  •  अगर मामला ऐसा है जिससे कई राज्‍य के लोगों पर असर हो सकता है तो शिकायत सीधे स्‍टैंडिंग कमेटी के सामने रखी जा सकती है।
जांच सच साबित होने पर होगी ये सजा
  •  यदि शुरुआती जांच में शिकायत सही पाई जाएगी तो उसे संबंधित समितियां उसे सेफगार्ड महानिदेशालय (डीजीएस) को भेज जाएगा। डीजीएस अपनी जांच करीब तीन महीने में पूरी करने के बाद उसकी रिपोर्ट ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी को भेजेगा।
  •  यदि अथॉरिटी को लगता है कि किसी कंपनी ने जीएसटी का लाभ ग्राहक को नहीं दिया है तो उसे यह लाभ उपभोक्ताओं को देने को कहा जाएगा। यदि उपभोक्ताओं की पहचान नहीं हो पाती है तो कंपनी को यह राशि एक निश्चित समय में कंज्‍यूमर वेलफेयर फंड में ट्रांसफर करनी होगी। अगर NAA को लगा कि ज्‍यादा सख्‍त कार्रवाई की जरूरत है तो वह संबंधित कारोबारी का GST रजिस्‍ट्रेशन भी कैंसल कर सकता है।
ऐंटी-प्रॉफिटियरिंग क्या है?

जीएसटी ऐक्ट में एक प्रोविजन है,।सरकार को जीएसटी लागू होने के बाद कंपनियां प्रॉडक्ट्स या सर्विसेज के दाम में क्या बदलाव करती हैं। उस पर नजर रखने के लिए कोई संस्था बनाने का अधिकार है. इससे यह पक्का किया जाएगा कि कंपनियां टैक्स बदलाव का मुनाफा अपनी जेब में ना रखें और उसका फायदा ग्राहकों को मिले।

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