राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद उन्हें गुजरात और हिमाचल प्रदेश में करारी हार का स्वाद चखना पड़ा है। हालांकि गुजरात चुनाव में भाजपा को कुछ सीटों का नुक्सान हुआ है पर हिमाचल में बीजेपी को शानदार जीत मिल रही है। बीजेपी के मुताबिक जीत उनके लिए मायने रखती है चाहे सीटों में थोडा फर्क पड़ा है पर कामयाबी हासिल होना बड़ी बात है।
इस बार विपक्ष ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में प्रचार के दौरान पूरी ताकत झोंक दी थी। नोट बंदी , जीएसटी जैसे मुद्दों के साथ साथ भाजपा पर साम्प्रदायिकता भड़काने जैसे तमाम बड़े आरोप लगे पर इन नतीजों ने साबित कर दिया की जनता का भाजपा में विश्वास बरकरार है।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह को गुजरात में बहुमत दिला कर लोगों ने विपक्ष को भी करारा जवाब दिया है। असल मायनों में भाजपा का परचम एक बार फिर लहराया है और कांग्रेस को इस बात पर मंथन करने की जरुरत है की वो एक ही राज्य में 6 बार लगातार हार कर क्या वो सही राजनीतिक सफर पर है।
कांग्रेस पार्टी ने इस बार चुनाव में नए और युवा नेता जैसे हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी को अपने साथ शामिल भाजपा को सभी मुद्दों पर घेरने की पूरी कोशिश थी पर भाजपा ने इन सभी मुद्दों पर लोगों का साथ पाकर एक बड़ी विजय हासिल की है।
खासतौर पर गुजरात चुनावों के प्रचार का केन्द्र नोटबंदी और जीएसटी को माना जा रहा था। कांग्रेस ने प्रचार के शुरुआत से ही दावा किया कि नोटबंदी से किसान, मजदूर और छोटे कारोबारी परेशान हुए और इससे देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा।
इसके साथ ही 1 जुलाई से लागू जीएसटी को राज्य में मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस ने छोटे और मध्यम कारोबारियों को रिझाने की कोशिश की। कांग्रेस की यह कोशिश एक हद तक कारगर भी दिखी जब गुजरात के कई औद्योगिक इलाकों में कारोबारी इसके विरोध में उतर आए।
भाजपा छठी बार गुजरात में सरकार बनाने जा रही है और ये एक ऐतिहासिक विजय मानी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी का जादू फिर से सब पर भारी पड़ता दिखा है और उम्मीद की जा रही है की 2019 के लोकसभा चुनावों में एक बार फिर मोदी लहर का जादू चलेगा।
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