चंडीगढ़: हरियाणा के वित्त एवं राजस्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि प्रदेश में लगभग सभी विभागों में लेखा प्रक्रिया शत-प्रतिशत ऑनलाइन हो चुकी है और जिन विभागों द्वारा विकास कार्य करवाए जाते हैं उनमें प्री-ऑडिट की व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाए ताकि जनता का पैसा सही तरीके से उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधि होने के कारण हम जनता के पैसे के प्रहरी हैं। टैक्स के माध्यम से एकत्र किया गया जनता का एक-एक पैसा सही योजनाओं एवं कार्यों में खर्च हो रहा है, इसे सुनिश्चत करना न सिर्फ सरकार बल्कि वित्त एवं लेखा अधिकारियों का सामूहिक दायित्व है। हरियाणा सरकार जनता के खजाने की समुचित वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए जिम्मेदार लेखा प्रबंधन प्रणाली पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए कटिबद्ध है।
वित्तमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों से अकाउंटिंग व ऑडिटिंग की स्टैंडर्ड प्रक्रिया की अनुपालना करने के निर्देश देते हुए कहा कि पिछले वर्ष हमने हरियाणा का 1 लाख 3 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकारी खजाने की एक-एक पाई का हिसाब रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार वित्त व्यवस्था प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए फिल्ड लेवल के अधिकारियों से भी सुझाव आमंत्रित कर रही है। उन्होंने लेखा अधिकारियों से कहा कि विकास कार्यों के भुगतान में अनावश्यक विलंब न किया जाए। किसी संस्था व सरकार की साख इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी भुगतान प्रक्रिया कितनी तीव्र है। उन्होंने लेखा अधिकारियों को निर्देश दिए कि कर्मचारियों के वेतन, भत्ते व पेंशन आदि के मामलों का संवेदनशीलता व तेजी के साथ निपटान किया जाए।
उन्होंने कहा कि मैने सेना में रहते हुए यह बात सीखी है कि सेवा में रहते हुए कर्मचारी से भरपूर काम लिया जाए लेकिन जब वह सेवानिवृत्त होता है तो उसे पेंशन संबंधी भुगतान में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए। ऐसा करके हम कर्मचारी के जीवन भर की सेवाओं का सम्मान कर सकते हैं। वित्तमंत्री ने लेखा अधिकारियों से विस्तार से इस बात की जानकारी ली कि किस विभाग द्वारा ऑनलाइन अकाउंट सॉफ्टवेयर का कितने प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने ऑनलाइन वाउचर जनरेशन में डिजिटल हस्तााक्षर के प्रयोग, लेखा कार्यों में पेंडेंसी, चेक एंड बैलेंस, अकाउंट सोफ्टवेयर के अपडेशन तथा वाउचर व बिल की ऑथेंटिसिटी जांचने की प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से जानकारी ली और इन विषयों पर लेखा अधिकारियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने लेखा अधिकारियों को लेखा सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहते हुए अपना कार्य करने तथा जनता के पैसे का अधिक से अधिक सदुपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
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(आहूजा)