अम्बाला : भ्रष्टाचारियों के बाबा इस्तीफा दो लिखे होर्डिंग उतरवाने से अम्बाला छावनी में वीरवार को जमकर बवाल मच गया। ये होर्डिंग अम्बाला छावनी के कांग्रेस भवन, सदर बाजार चौंक, माया वाला चौंक, दशहरा ग्राऊंड तथा हाथी खाना रोड समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए थे। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज की बर्खास्तगी और उनके भतीजे के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के केस में कार्यवाही करवाने के मकसद से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस भवन से नगर के सारे बाजारों में रोष प्रदर्शन जुलूस निकाले जानें की पूर्व संध्या पर यह सभी होर्डिंग लगाए गए थे। इन होर्डिंगों पर लिखा था भ्रष्टाचारियों के पनाहगारों को बर्खास्त करो, ईमानदारी का चोला पहने ढोंगी बाबा इस्तीफा दो, दोहरे माप दंड अपनाने वाले इस्तीफा दो तथा ईमानदारी का ढोंग रचने वाले इस्तीफा दो। दिन चढ़ते ही जब लोगों ने इन होर्डिंगों को देखा तो यह खबर नगर में जंगल की आग की तरह फैल गई।
लेकिन जैसे-जैसे यह रोष प्रदर्शन मुख्य बाजारों से गुजरता हुआ एसडीएम कार्यालय में राज्यपाल के नाम ज्ञापन देने पहुंचा। वैसे ही प्रदर्शनकारियों को सूचना मिली की निगम के कर्मी यह सभी होर्डिंग उतार रहे हैं। रोष प्रदर्शन जुलूस को शांतिपूर्वक समाप्त करने के बाद गुस्साए कांग्रेसियों ने नगर निगम कार्यालय पहुंच कर जमकर बवाल काटा। पूर्व पार्षद गगन डांग और ओंकार नाथी समेत अनेक कांग्रेसियों ने नगर निगम के ज्वाइंट कमिशनर से मिलकर शिकायत करने की जिद की लेकिन मौके पर उनका पीए विक्रम ही इन नेताओं को मिल पाया। होर्डिंग उतवाने का कारण पूछने पर जब कोई संतोषजनक उतर नहीं मिला तो गुस्साएं कांग्रेसियों ने इस संबंध में ज्वाइंट कमिशनर समेत निगम के स्टॉफ के खिलाफ होर्डिंग चोरी करने की एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी दे डाली। इससे पहले भी 15 दिसंबर को जब नगर परिषद के अम्बाला छावनी स्थित कार्यालय के बाहर पूर्व मंत्री निर्मल सिंह के नेतृत्व में निगम भंग करने के विरोध में धरना दिया गया था तो धरने से पूर्व ही न केवल मौके पर लगाए गए टैंट के लोहे के पाईप तोड़ दिए गए थे बल्कि होर्डिंग भी फांड दिए गए थे।
उस वक्त भी पूर्व मंत्री निर्मल सिंह के मीडिया सलाहकार नितिन भाटिया ने मेयर रमेश मल को एक लिखित शिकायत दे कर सैनेट्ररी इंस्पेक्टर सुनील दत्त के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की थी। इस शिकायत पर कार्यवाही अब तक लंबित रही। इससे स्पष्ट है कि नगर निगम के अधिकारी मौखिक आदेशों पर अमल करके विपक्षी पार्टियों की नाराजगी तो मोल ले लेते हैं लेकिन उच्च पदों पर बैठे राजनेताओं के दबाव के चलते यह बात भूल जाते हैं कि सत्ता परिवर्तन होते ही आज के विपक्षी नेता भविष्य में इन्ही अधिकारियों को अपना निशाना बनाएंगे। जबकि सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाकर रखने वाले अधिकारी अपने पूरे कार्यकाल में बेफ्रिक होकर अपनी डयूटी करते हैं।
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(राजेन्द्र भारद्वाज)