भिवानी : हरियाणा के छात्रों के लिए खुशखबरी हेै। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने सीसीई के अंको को दो भागों में बॉटा है जिसमें सीसीई के आधे नंबर थ्योरी व आधे प्रैक्टिकल में जुड़ेगे। अबकि बार रिजल्ट में बोर्ड ने ऐसा ही किया हेै हालांकि हरियाणा के छात्रों में इसी बात का संशय जरुर बना हुआ है कि उनके सीसीई के अंक दर्शाए नही गए है। अब से पहले हरियाणा के छात्रों को दिल्ली सरीखे राज्यों में 12वीं कक्षा के बाद दाखिले लेने के बाद परेशानियों का सामना करना पड़ता था क्योंकि सीसीई के अंक होने के कारण थ्योरी में अंक कुल 60 नंबरो से ही दर्शाए जाते थे। 20 नबंर प्रैक्टिकल के तथा 20 नबंर सीसीई के जुड़ते थे। सीसीई के नबंर लगने के कारण दिल्ली जैसे राज्य कॉलेजो व यूनिवर्सिटी में दाखिले नही देते थे। दाखिले लेने के लिए छात्रों को बोर्ड के चक्कर काटने पड़ते थे जिस कारण कई बार लेट होने के कारण या तो दाखिला नही हो पाता था या फिर लेट फीस देनी पड़ती थी।
बोर्ड चेयरमैन डॉ जगबीर सिंह ने कहा कि इस समस्यां से निजात दिलवाने के लिए बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि सीसीई के अंको को दो भागो में बॉटा है। जिसमें थ्योरी व दूसरा प्रैक्टिकल है। उन्होंने बताया कि अब छात्रों को दूसरे राज्यों में दाखिला लेेने में परेशानी नही होगी। उन्होंने यह भी बताया कि अगले वर्ष से बोर्ड सीसीई के अंक ही समाप्त कर देगा तथा परीक्षा केवल थ्योरी व प्रैक्टिकल विषय पर ही होगी। वही उन्होंने बताया कि आज उन्होंने ऐसे छात्रो को भी फोन पर बधाई दी है जिन्होंने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में मेरिट सूची में स्थान लिया है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के एकमात्र लैब स्कूल जो कि शिक्षा बोर्ड में स्थित है सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्कूल का 12वीं कक्षा का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने इसके लिए स्कूल प्राचार्या व अध्यापिकाओ व अध्यापको को भी बधाई दी है तथा बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की है। सीसीई के अंक समाप्त होने के बाद हरियाणा के छात्र चैन की सास लेगें क्योकि इसके समाप्त होने के बाद बच्चों को भटकना नही पड़ेगा। हरियाणा में सीसीई लागू करने का मकसद केवल इतना था कि बच्चों को 20 नबंर जिस स्कूल में वे पढ़ते है वे लगा कर भेजते थे जिससे बच्चों के अंक बढ़ जाते थे, लेकिन इन अंको की वजह से उन्हें काफी दिक्कतो का सामाना करना पड़ता था।
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(कृष्णसिंह)