लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम प्रशासक नहीं जनसेवक है

NULL

गुरुग्राम : हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने अधिकारियों को जनसेवा का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम प्रशासक नही बल्कि जनसेवक है और जनता की इच्छा तथा आकांक्षा को पूरा करना हमारा कत्र्तव्य है। प्रो. सोलंकी आज गुरुग्राम जिला प्रशासन द्वारा हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) में 12वें सिविल सर्विसिज़ डे पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस कार्यक्रम का शुभारंभ आज प्रात: भारत निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में हरियाणा सरकार के पूर्व मुख्य सचिव तथा भारत सरकार में सचिव के पद पर रहे एम सी गुप्ता तथा हिपा के महानिदेशक डा. जी प्रसन्ना कुमार भी उपस्थित थे।

सिविल सर्विसिज डे पर अपना संदेश देते हुए प्रो. सोलंकी ने कहा कि आज का दिन सिविल सेवा के अधिकारियों के लिए आत्ममंथन का दिन है और सभी अधिकारी यह मंथन करें कि किस भावना, नीयत तथा आकांक्षा से हमें जनता के बीच काम करना है। उन्होंने तुलसीदास और महात्मा गांधी के उदाहरण देते हुए कहा कि जब भी कोई व्यक्ति आपके पास काम के लिए आता है तो सोचें कि यह मेरा पहला कत्र्तव्य है कि मुझे इसकी दुख तकलीफ दूर करनी है, आपमें ऐसी भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहा करते थे कि अच्छी सरकार वह है जिसमें कम से कम शासन हो और अच्छा गांव वह है जिसमें कोई शिकायत ना करे बल्कि लड़ाई झगड़ों का निपटारा आपस से मिल बैठकर कर लें।

उन्होंने कहा कि ऐसा वातावरण पैदा करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की सोच बदलनी पड़ेगी। राज्यपाल ने कहा कि अधिकारी चार ‘आ’ अर्थात् आस्था, आत्मसंयम, आत्मीयता तथा आध्यात्मिकता को अपनाएंगे तो अवश्य सफल होंगे। उन्होंने बताया कि अधिकारी की संविधान के प्रति आस्था यानि देश के प्रति आस्था हो। हम कोई भी काम करें या योजना बनाएं तो उसमें यह ध्यान रखें कि उसका समाज में अंतिम व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यही संविधान की मूल भावना है। प्रो. सोलंकी ने कहा कि आत्मसंयम का अर्थ है कि आप स्वयं अनुशासन में रहें। उन्होंने कहा कि आप कोई भी कार्य करें यहां तक कि परिवार में रहते हुए भी आत्मसंयम की जरूरत होती है। इसी प्रकार, आप अपने आप को समाज का अंग समझे और समाज के साथ स्वयं का एकाकार करें। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि इच्छाओं का अंत नही है। यह अध्यात्मिकता है।

इसके साथ प्रो. सोलंकी ने डा. भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान समिति ने जब संविधान पेश किया था उस समय डा. अंबेडकर ने अपने पहले भाषण में कहा था कि अच्छी चीज को क्रियान्वित करने वाला व्यक्ति यदि अच्छा नही होगा तो उसके परिणाम भी अच्छे नही होंगे। इसके विपरीत यदि बुरी चीज को भी कोई अच्छा व्यक्ति क्रियान्वित करता है तो उसके परिणाम अच्छे आएंगे। आज के इस सिविल सर्विसिज डे के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए भारत के निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने सिविल सेवाओं को ‘स्टील फ्रेम’ के समान बताया था।

हमारी मुख्य खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें।

– एमके अरोड़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।