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खट्टर ने तोड़ा 17 साल पुराना मिथक

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करनाल/घरौंडा : प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आखिरकार 17 साल पूराने उस भ्रम को तोड दिया है। जो इस तरह प्रचलित है कि प्रदेश का सीएम जब करनाल के पुलिस अकादमी में बतौर मुख्यअतिथि किसी कार्यक्रम में जब आता है तब उसका राजनीतिक ग्राफ नीचे गिरता जाता है। 2001 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला भी पुलिस प्रशिक्षण परेड में शामिल होने के लिए मधुबन की पुलिस अकादमी में हिस्सा लेने आए थे। लेकिन 2005 के बाद ना केवल वह मुख्यमंत्री पद से हट गए बल्कि उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया और सीबीबाई की अदालत ने उन्हे 10 साल की सजा भी सुनाई। हालांकि मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 17 साल पूराने इस भ्रम को तोडने की कोशिश करते हुए फिर से नई परंपरा की शुरूआत की है।

क्या यह भ्रम मुख्यमंत्री मनोहर लाल के राजनीतिक कैरियर का ग्राफ डूबो देगा। यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन फिलहाल जिस तरीके से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 17 साल पूराने इस भ्रम को तोड कर जिस नई परंपरा की शुरूआत की है उसकी तारीफ आज प्रदेश के डीजीपी ने खुद मंच से भी की। हालांकि डीजीपी ने कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के इस आगमन को लेकर तारीफों के पुल तो बांध दिए लेकिन यह बात खुद डीजीपी भी जानते है कि इस भ्रम के चलते आने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी दोबारा हाथ नही लगती। हालांकि मंच के दौरान ही खुद सीएम मनोहर लाल ने पुलिसकर्मियों के समक्ष पुलिस अकादमी को पवित्र बताते हुए यह भी कहा कि यह एक पवित्र स्थान है।

जहाँ पुलिस और आम लोगों के बीच मित्रता के द्वार खुलते है। तभी तो भाजपा सरकार ने पुलिस मित्रकक्ष खोले है। पुलिस और आम लोगों के बीच कोई डर ना रहे। क्योंकि यहाँ से प्रशिक्षण लेने के बाद पुलिसकर्मी जनता की सेवा करते है। उत्तर प्रदेश के नोएडा की तरह हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के लिए अपशुगनी माने जाने वाले मधुबन पुलिस अकादमी में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने युपी के मुख्यमंत्री योगी की तरह दस्तक देकर मिथक को तोडने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने रैक्रूट सिपाहियों को नौकरी के दौरान सेवाभाव से काम करने तथा पारदर्शिता बनाए रखने के लिए नैतिकता, न्याय व निडरता का मूल मंत्र प्रयोग में लाना चाहिए। समाज में इस मूलमंत्र के प्रयोग से हर पीडि़त व न्याय अपेक्षित व्यक्ति को न्याय की उम्मीद जगेगी और समाज में खुशहाली बढ़ेगी।

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– हरीश, सुरेंद्र

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