भिवानी : अभी एचएसएससी भर्ती घोटाला शांत भी नहीं हुआ था कि भिवानी पुलिस ने चुरू की प्राइवेट यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री के अंतराष्ट्रीय फर्जी गिरोह का भांडाफोड़ कर बड़ी कामयाबी हासिल की। अब इस मामले में हो रही जांच में एक के बाद एक बड़े खुलासे हो रहे हैं। फिलहाल पुलिस मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी और इन फर्जी डिग्रियों से कितने लोग नौकरी लगे, इसकी जांच में जुटी है। बता दें कि भिवानी सिटी थाना में 5 अप्रैल को शिकायत दर्ज हुए थी कि राजस्थान के चुरू स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में मोटे पैसे लेकर फर्जी डिग्री देने का गिरोह चल रहा है। इस पर कार्रवाई करते हुए एसपी ने एसआईटी गठित की। एसआईटी ने कार्रवाई करते हुए 7 अप्रैल को ही यूनिवर्सिटी में कार्यरत चार कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों से पुछताछ के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपियों की तलाश तथा अन्य रिकॉर्ड व सामान को छापेमार कर जब्त करना शुरु कर दिया है।
सदर थाना प्रभारी एसएचओ श्री भगवान ने बताया जांच में सामने आया है कि 2013 में स्थापित चुरू की इस यूनिवर्सिटी से अब तक मोटे पैसे लेकर हजारों की संख्या में फर्जी डिग्रियां व डीएमसी की बंदरबांट की गई है। उन्होंने बताया कि मामले में मुख्य आरोपी यानि यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जोगेन्द्र दलाल, वीसी एवं जोगेन्द्र की पत्नी सरिता कड़वासरा सहित अन्य पदाधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। पुलिस के मुताबिक रोहतक में यूनिवर्सिटी का कार्यालय बनाकर ये गोरखधंधा किया जा रहा है, जहां से छापेमारी के बाद बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री, डिग्री छापने के खाली कागज, कम्प्युटर, हार्ड डिस्क, प्रिंटिंग की दो बड़ी मशीने व थ्री डी लोगो सहित रिकॉर्ड बरामद किया है। थाना प्रभारी श्री भगवान ने बताया कि मामले में मुख्य आरोपियों में से तीन के खिलाफ उज्जैन में भी मामला दर्ज होने की नई जानकारी मिली है।
उन्होंने बताया कि इतने बड़े खुलासे के बाद यूजीसी को भी इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि आरोपियों के ठिकानों पर गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। साथ ही जांच की जा रही है कि फर्जी डिग्रियां कुल कितनी संख्या में बांटी और कितने लोग इनके सहारे सरकारी नौकरी पा चुके हैं। पुलिस के मुताबिक फर्जी डिग्रियां विदेशों तक बांटी गई हैं। खास बात ये है कि रोहतक में प्रिंट होने वाली डिग्रियों पर तीन प्रकार के कोड अंकित होते थे। रेगुलर के लिए आरजी, दिल्ली के आवेदकों के लिए डीएलआरएस तथा प्रदेश से आवेदन करने वालों के लिए एसएसआरएस कोड के साथ अंकित किया जाता था। फर्जी डिग्री के अंतराष्ट्रीय गिरोह के इस मामले को फिलहाल पुलिस एचएसएससी भर्ती मामले से जोड़कर जांच कर रही है और पता लगाया जा रहा है कि कितने लोग फर्जी डिग्री के सहारे प्रदेश में सरकारी नौकरी पा चुके हैं।
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(कृष्णसिंह)