करनाल: जहां पुलिस के जवानों को ट्रेनिंग दी जाती हो वहीं दिन दिहाडे गोल्फ के मैदान में एथलेटिक्स के गोल्ड मैडिलिस्ट प्लेयर संदीप शर्मा की हत्या हो जाती हो। यह घटना चौंकाने वाली है। सबसे अहम बात यह है कि अभी तक पुलिस के हाथ कोई सुराग नही लग पाए। गांव ब्रिचपुर का रहने वाला संदीप दौडने मे इतना माहिर है कि आम युवा तो इसे पकड ही नही सकता था। 100 मी. तथा 200 मी. की दौड में जिस खिलाडी ने 3 अंतराष्ट्रीय समेत 50 मैडल हासिल किए हो और अब तक उसे 80 से अधिक प्रशस्ति पत्र मिल चुके हो। उसकी पुलिस अकादमी के गोल्फ मैदान में हत्या हो जाना एक चौकाने वाली वारदात है। आप अंदाजा लगाईये कि संदीप शर्मा के सिर पर एथलेटिक्स का जनून इस कदर सवार था कि वह अब भी ऑस्ट्रेलिया स्थित अपने कोच से ट्रेनिंग ले रहा था।
2 साल पहले उसने ऑस्ट्रेलिया स्थित कोच से ट्रेनिंग ली थी। लेकिन अब वह अपने कोच से मोबाईल से संपर्क में था। संदीप रोजाना 7 घंटे की प्रैक्टिस करता था। वह प्रैक्टिस करने के बाद अपने घर पर ही रहता था। आधा गांव तो उसे जानता तक नही। जिस दिन हत्या हुई तो अधिकतर गांव के लोगों को यह पता चला कि संदीप एथलैटिक्स का गोल्ड मैडिलिस्ट खिलाड़ी है। आखिर उसकी हत्या किसने की? इस पर सवालिया निशान लगा है। संदीप के रिश्ते मे लगते चाचा राजेश शर्मा ने पंजाब केसरी को बताया कि वह सुबह 6 बजे ही घर से निकल जाता था और करीब 4 घंटे प्रैटिक्स करता था। संदीप ने भूटान और नेपाल में अंतराष्ट्रीय स्तर पर मैडल जीते है। अब तक वह करीब 50 मैडल हासिल कर चुका था। वह रोजाना 7 घंटे प्रैटिक्स करता था।
आखिर उसका हत्यारा कौन हो सकता है। यह ना तो पुलिस जानती है और ना ही परिजन। राजेश शर्मा का कहना था कि उसकी किसी से दुश्मनी नही थी। प्रैक्टिस के बाद संदीप ज्यादातर समय घर पर ही रहता था। क्योंकि उसका फोकस सिर्फ खेल पर ही था। क्या एथलैटिक्स के मैदान में उसके कोई दुश्मन थे या फिर जिस दिन वह दौड रहा था तो क्या प्रैक्टिस करते समय उसकी किसी से कहासुनी हो गई थी। इसके जवाब भविष्य के गर्भ मे है। लेकिन बडा सवाल यह उभर कर सामने आ रहा है कि यदि उसकी किसी से दुश्मनी नही थी तो सोची समझी और सुनियोजित हत्या के चलते हत्यारों के पास जहर कैसे आया? क्या हत्यारे पहले से ही संदीप की जान लेने के लिए जहर साथ लेकर आए थे? उन्होने जहर पिलाने के बाद उसे चाकूओं से क्यों गोदा? यह सवाल इस बात के साफ संकेत है कि कुछ लोग संदीप की पहले से ही हत्या करना चाहते थे।
दौड में माहिर और किसी के हाथ नही आने वाले संदीप पर हमला किसी एक ने नही बल्कि कई लोगों ने मिलकर किया है। यह साफ जाहिर है। जहर की पुष्टि तो विसरा की रिपोर्ट में होगी। लेकिन एक बात तय है कि संदीप की हत्या कों अंजाम देने के लिए हत्यारों ने पहले से ना केवल रैकी की बल्कि धुंध छाए जाने का भी इंतजार किया। क्योंकि वहां सीसीटीवी कैमरे नही है और मैदान काफी बडा है। ऐसे में जब गहरी धुंध हो और दृश्यता कम हो तो ऐसे हत्याकांड को अंजाम देना आसान हो जाता है। बरहाल दो दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। परिजनोंं को किसी पर शक नही है। क्योंकि संदीप की किसी से दुश्मनी नही थी। ऐसे में संदीप के हत्यारों का पता लगाना करनाल पुलिस के सामने सबसे बडी चुनौती है। क्योंकि मामला एक गोल्ड मैडिलिस्ट खिलाडी की हत्या का है।
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– हरीश चावला