गुरुग्राम: जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड में शुक्रवार को प्रद्युम्न हत्याकांड की सुनवाई हुई। आरोपी छात्र की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। आरोपी छात्र के अधिवक्ताओं ने बोर्ड से आरोपी की जमानत स्वीकार करने का आग्रह किया कि वह नाबालिग है, इसलिए उसे जमानत दी जाए। अधिवक्ता की दलीलों का सीबीआई के अधिवक्ता व प्रद्युम्न के पिता वरुण चंद ठाकुर के अधिवक्ता ने जमानत स्वीकार करने का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने जघन्य अपराध किया है, इसलिए उसे जमानत न दी जाए।
जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी छात्र की जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी का मामला वयस्क के रुप में सुना जाए, इस याचिका पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस करीब अढ़ाई घंटे तक चली। जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड इस पर अपना फैसला आगामी 20 दिसंबर को सुनाएगा।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपी के अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर आदि ने सीबीआई व प्रद्युम्न के पिता द्वारा दायर की गई याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसका मामला जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड में ही सुना जाए, जबकि सीबीआई व प्रद्युम्न के पिता के अधिवक्ता टेकरीवाल ने इसका विरोध किया। बताया जाता है कि आरोपी छात्र की मानसिक स्थिति को दर्शाती हुई सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट का अध्ययन बहस शुरु होने से पहले किया गया था, लेकिन इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
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(अरोड़ा, सतबीर)