सोहना : यहां पर गांव बादशाहपुर जमीन घोटाले की जांच के लिए सीबीआई की 7 सदस्यीय टीम आई और करीब 4 घंटे तक अधिग्रहीत हुई 1400 एकड़ जमीन घोटाले का रिकार्ड खंगाला। साथ ही विभिन्न दस्तावेजों की गहराई से जांच-पड़ताल की। कुछ दस्तावेजों को टीम ने अपने कब्जे में लिया है और जमीन का मौका देखने निकली है। इस मौके पर पीडि़त पक्ष की तरफ से महेश कौशिक भी मौजूद रहे। सीबीआई में तैनात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन की अगुवाई में सीबीआई की टीम सुबह करीब साढ़े 11 बजे यहां आई और याचिकाकर्ता महेश कौशिक को बुलाया। महेश कौशिक घोटाले से जुड़े रिकार्ड लेकर टीम के सामने पहुंचे। टीम ने इस भूमि घोटाले से जुड़े पूरे रिकार्ड का गहराई से अवलोकन किया।
इससे पहले सीबीआई टीम ने मार्च महीने के आखिर में लगातार 2 दिनों तक पंचकूला स्थित विभाग के मुख्यालय में छानबीन की थी और हुडा व जिला नगर योजनाकार विभाग के अधिकारियों को अधिग्रहण से संबंधित सभी दस्तावेजों की कापी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही अधिग्रहण के दौरान हुए बदलावों के संबंध में जानकारी मांगी कि कौन सा बदलाव कब और किस अधिकारी के कहने पर किया गया था। अधिग्रहण के दौरान विभाग में कौन-कौन अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहे है। उनकी भी सूची उपलब्ध कराने को कहा गया। दोनों विभागों से प्राप्त दस्तावेजों की जांच के बाद सीबीआई टीम ने डीटीपी कार्यालय में आकर भौतिक रूप से दस्तावेजों का मुआयना किया। शिकायतकर्ता महेश कौशिक के मुताबिक 1400 एकड़ अधिग्रहीत की गई भूमि गांव मैदावास, उल्लावास, बादशाहपुर, रामगढ़, कादरपुर, बहरामपुर, तिगरा और घाटा अमीरपुर गांव की है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा के कार्यकाल में इन 8 गांवों की 1400 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए सेक्शन-4 के नोटिस जारी हुए। आरोप है कि वर्ष-2009 में बिल्डरों ने जमीदारों से इसी जमीन को सस्ते में खरीद कर सरकार से रिलीज करवा लिया और कॉलोनी विकसित करने के लिए लाइसेंस भी हासिल कर लिया। अब 87 एकड़ जमीन बची है। जिसमें अस्पताल, बिजली सब स्टेशन, फायर स्टेशन, पुलिस थाना, डिस्पेंसरी, सड़कें और पार्क है। हुई अनियमितताओं को देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वर्ष-2014 में अधिग्रहण के नोटिफिकेशन को रदद कर दिया।
जिस पर राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। जहां भूमि मालिकों ने अपना पक्ष मजबूत तरीके से रखा और आरोप लगाया कि बिल्डरों ने जमीन खरीद पर सरकार से मिलीभगत कर इसे अतिक्रमण मुक्त कराया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते वर्ष नवंबर में मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई टीम डीटीपी कार्यालय में भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच के लिए आई है। सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे मामले की जांच 6 महीने में करके न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश सीबीआई को दिए है। जिससे सीबीआई तेजी से जांच में जुटी है।
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– उमेश गुप्ता