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जुवेनाइल बोर्ड का फैसला अंतिम नहीं

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सोहना: सोहना के गांव भौंड़सी स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल के मासूम छात्र प्रद्युम्न हत्या मामले में सीबीआई द्वारा आरोपी छात्र के पिता का कहना है कि वह जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की ओर से दिए गए फैसले से नाखुश है और वह ऊपरी अदालत में जल्द अपील दायर करेंगे। उन्होने कहा कि फैसले की कापी में जुवेनाइल बोर्ड की तरफ से कोई कारण नही बताए गए है। सुनवाई के दौरान बहस होने के बाद छात्र को बालिग मान लिया गया है। उन्होने कहा कि यह कैसा दोहरा मापदंड है कि मतदान के लिए आयु सीमा 18 वर्ष कम से कम होनी चाहिए लेकिन बालिग मानने के लिए बच्चे की उम्र 16.5 साल है।

फिर भी उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड बालिग मान रहा है। उन्होने साफ कहा कि भले ही जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने छात्र को बालिग करार दिया है लेकिन बोर्ड का फैसला अंतिम नही है। ध्यान योग्य ये है कि देश में बहुचर्चित निर्भया कांड के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को किशोर अपराधियों के सामाजिक और मानसिक स्तर को देखकर फैसला देने का अधिकार दिया गया था लेकिन इसमें बचाव पक्ष के लिए बोर्ड के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने का रास्ता खुला छोड़ा गया है। बचाव पक्ष अपने बचाव में सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतरिम होगा। बचाव पक्ष के पास अभी विकल्प है। इस केस में अभी कई और मोड आ सकते है। सीबीआई की चार्जशीट आने पर ही कुछ कहा जा सकता है।

गौरतलब हो निर्भया कांड के बाद 16 वर्ष से ऊपर की आयु के किशोरों को बालिग के दायरे में आने के लिए बड़ी बहस छिड़ी थी। इसके बाद सरकार ने किशोरों के लिए बनाए गए कानून में बदलाव किया था और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को अधिकार दिया था कि वह किशोरों के आईक्यू के आधार पर बालिग-नाबालिग की परिभाष तय करे। दिल्ली में कुछ घटनाओं में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने कुछ इस तरह के फैसले दिए है। एक वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा का कहना है कि बाल किशोर अधिनियम की धारा-5 कहती है कि किसी बच्चे पर बालिग के तौर पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष समिति जांच करती है। इसमें तय किया जाता है कि उसका दिमाग परिपक्व है और अपराध से वाफिक है।

बाल सुधार गृह में रहेगा आरोपी छात्र: सोहना के गांव भौंड़सी स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल के मासूम छात्र प्रधुम्न हत्या मामले में आरोपी छात्र को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बेशक बालिग की तरह केस चलाने का फैसला सुना दिया है लेकिन उसकी हिरासत अभी नाबालिग वाली ही रहेगी। सीबीआई की ओर से बोर्ड के समक्ष पेश किए गए दस्तावेजों के अनुसार छात्र की जन्म तिथि 3 अप्रैल, 2001 है। ऐसे में नाबालिग होने के नाते छात्र को अभी करीब साढ़े 15 महीने तक बाल सुधार गृह में ही रहना होगा। छात्र की आयु 18 वर्ष पूरी होने पर ही उसे बाल सुधार गृह से नार्मल जेल में शिफ्ट कर दिया जाएगा। बाल सुधार गृह अधीक्षक दिनेश यादव का कहना है कि 18 साल की उम्र तक नाबालिग ही माना जाता है। अभी छात्र की उम्र 18 वर्ष पूरी नही हुई है। 18 वर्ष की आयु पूरी होते ही छात्र को अदालत की अनुमति से जेल में शिफ्ट किया जाएगा।

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– उमेश गुप्ता

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