चंडीगढ़ : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का कारण सिर्फ किसान की पराली नहीं है। केंद्रीय वित्त आयोग की नजर में उद्योग-धंधे, निर्माण कार्य, वाहनों का प्रदूषण तथा धूल मिट्टी की वजह से भी प्रदूषण फैल रहा है। किसानों के खेत में फसली अवशेष के निस्तारण के लिए वित्त आयोग हरियाणा तथा पंजाब राज्यों को आर्थिक मदद की पेशकश करेगा। दोनों राज्यों को करीब 1300 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जा सकती है। हरियाणा को 500 करोड़ तथा पंजाब को 800 करोड़ रुपये की राशि देने का प्रस्ताव है। यह राशि किसानों को फसली अवशेष के निस्तारण के लिए दी जाने वाली मशीनों की सब्सिडी पर खर्च होगी। 15वें वित्त आयोग का मानना है कि किसानों को ऐसी मशीनें दी जानी चाहिए, जो फसल अवशेषों का खेत में ही बहुत बारीक निस्तारण कर सकें।
किसानों को अवशेष जलाने की जरूरत न पड़े और अगली फसल के लिए किसानों के खेत तैयार हो जाएं। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की मौजूदगी में वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अशोक लाहरी, डॉ. अनूप सिंह, डॉ. रमेश चंद और सीनियर आइएएस अधिकारी अरविंद मेहता ने कहा कि ऐसी मशीनों की जरूरत है, जिनसे खेत में ही फसल अवशेषों का बारीक निस्तारण हो जाए। आयोग के सामने जब फरीदाबाद व गुरुग्राम की वजह से दिल्ली के प्रदूषित होने का मुद्दा आया तो वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने मोर्चा संभाल लिया।
कैप्टन बोले कि फरीदाबाद व गुरुग्राम की वजह से दिल्ली नहीं बल्कि दिल्ली की वजह से इन दोनों समेत बाकी शहर भी प्रदूषित हो रहे हैैं। आयोग के सदस्य डॉ. अनूप सिंह और डॉ. रमेश चंद ने कहा कि गैर बासमती धान में सिली की मात्रा अधिक होती है। फिलहाल फसली अवशेष निस्तारण के लिए जो मशीनें मौजूद हैं, उनमें उच्च क्वालिटी की तकनीक नहीं है, जिस कारण सिली की मात्रा वाले अवशेष निस्तारण से रह जा रहे हैं। इंजीनियरिंग संस्थानों से ऐसी मशीनों की तकनीक को अपग्रेड करने के लिए कहा जाएगा।
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