भिवानी : लोग सालों साल डिग्रियां अर्जित करने के लिए मेहनत करते हैं तथा पढ़ाई करते हैं मगर माफिया बिना पढ़ाई व परीक्षा के पैसों में डिग्री देकर प्रतिभाओं के साथ खिलवाड़ करने पर तुला है। एक ऐसे ही मामले का भंडााफोड़ भिवानी पुलिस की एसआईटी टीम के द्वारा किया गया है तथा पूरा मामला राजस्थान की एक यूनिवर्सिटी से जुड़ा है जिसके कर्मचारियों ने बिना परीक्षा के ही पैसे लेकर डिग्री जारी कर दी। भिवानी पुलिस की गिरफ्त में दिख रहे ये युवक पढ़े लिखे हैं व नौकरी भी करते हैं मगर जो खेल इन्होंने खेला है शायद उसके तार विदेशों से जुड़े हैं। ये चारों युवक बिना पढ़ाई के ही फर्जी डिग्रियां बनाकर देते थे। चारों राजस्थान के रहने वाले हें व चुरू यूनिवर्सिटी के कर्मचारी हैं। ये लोग हाथों हाथ फहीस संबंधी औपचारिकताएं पूरी कर पुरानी डेट में दाखिले दिखाकर पास की डिग्रियां देते थे। जो डिग्रियां दी गई हें वे डिग्रियां भी अचछी पास प्रतिशतता की हैं।
दरअसल भिवानी पुलिस को शिकायत मिली थी कि राजस्थान के चुरू की ओपीजेएस यूनीवर्सिटी में फर्जी डिग्री दी गई है। एसपी सुरेन्द्र भौरिया ने इंस्पैक्टर श्री भगवान के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया। एसआईटी टीम ने उनकी डिग्री से संबंधित जब पूरा रिकार्ड खंगाला तो पता चला कि यूनिवर्सिटी में इन दोनों युवकों की फीस जमा है व बाकी रिकार्ड था मगर इन्होंने कोई परीक्षा नहीं दी व ना ही उनकी उत्तरपुस्तिकाएं व प्रश्रपत्रों की डिटेल उपलब्ध हो पाई। बता दें कि पुलिस टीम ने यूनीवर्सिटी में चारो युवकों दीपक, नवीन, कृष्ण व अनिल को गिरफ्तार किया। पुलिस टीम ने कम्प्यूटर, प्रिंटर व अन्य दस्तावेज भी कब्जे मे लिए हैं। मामले के अनुसार आरोपी युवक युवाओं से फीस ले लेते थे व बिना परीक्षा के ही डिग्रियां दिलवाते थे। इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय के दूसरे अधिकारियों के जुड़े होने की संभावनाओ से भी पुलिस इंकार नहीं कर रही है। पुलिस उपाधीक्षक संजय बिश्रोई ने बताया कि गिरोह इंटरस्टेट है व दूसरे प्रदेशों से भी छात्रों से फीस वसूले जोने की जानकारी मिली है। यही नहीं दुबई व नेपाल में भी डिग्रियां दिए जाने का अंदेशा पुलिस ने जताया है जिसकी छानबीन जारी है।
वहीं यूनीवर्सिटी के रोहतक स्थित एक कार्यालय में भी एसआईटी के द्वारा छापेमारी की गई तथा वहां से भी उपकरण बरामद किए गए। इन उपकरणों में रिपटेड डिग्रियों के फार्मेट व दूसरी चीजें थी। यह भी बता दें कि ये गिरोह बिना किसी योग्यता व बिना किसी पहचान के पैसों के बूते डिग्रियां देता था। यूनीवर्सिटी में ऐसे दर्जनों कोर्स करवाए जा रहे हैं। खास बात ये है कि पूरा रिकार्ड तो यूनीवर्सिटी में दर्ज है जिसमें फीस से लेकर डिग्रियों तक का रिकार्ड है मगर परीक्षाओं का रिकार्ड नहीं है। मजेदार बात ये है कि अगर कोई डिग्रियों को वैरीफाई करवाता है तो उनकी वैरीफिकेशन भी हो जाती हे। ऐसे में मामले में सिर्फ उक्त चार युवकों की संलिप्तता ही नहीं बल्कि यूनीवर्सिटी के आलाधिकारियेां जिनमें रजिस्ट्रार व दूसरे अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस का मानना है कि पूरी जांच के बाद और भी खुलासे होंगे। बहरहाल पुलिस पूरे मामले की छानबीन गहनता से कर रही है तथा यूनीवर्सिटी के इस कारनामे के बाद और कई राज खुलेंगे।
कितने लोगों को डिग्रियां दी गई हैं, कितनों को इन फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरी मिली,ये भी जांच का विषय है। दिलचस्प बात ये है कि डिग्रियां लेने वालों की पूर्व की योग्यता से भी कोई सरोकार डिग्रियां दिलवाने वाले नहीं रखते थे तथा यह बात भी सामने आई है कि बिना मैट्रिक व बारहवंी के ही बीए,एमए की डिग्रियां तक दी गई हैं। बहरहाल दो डिग्रियां पुलिस ने कब्जे में ली हें क्योंकि इनके बारे मे शिकायत मिलने पर कार्रवाई की गई तथा अब पूरे रिकार्ड को ही खंगाला जा रहा है। ये बात भी सामने आई कि फीस तो हालिया दिनों में जमा करवाई गई व डिग्री के लिए दाखिला चार साल पहले ही कर दिया गया तथा फीस मिलने के बाद ही बैकडेट की सब औपचारिकताएं पूरी की गई। अभी छोटी मछलियां पुलिस टीम के हाथ लगी हैं तथा कितनी बड़ी मछलियां और गिरफ्त में आएंगी ये भी देखना होगा क्योंकि डिग्री अकेले भिवानी के दो युवकों को ही नहीं मिली बल्कि दूसरे प्रदेशों के साथ साथ दुबई व नेपाल तक में डिग्रियां गई हैं।
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(कृष्णसिंह, खण्डेलवाल)