पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को झटका देते हुए उनके मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द कर दी। न्यायालय ने उनकी नियुक्ति को गैर संवैधानिक बताया। न्यायामूर्ति राजन गुप्ता कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी कुमार का पद पर आसीन होना संविधान के अनुच्छेद 166 (3) का उल्लंघन है और इसलिए उनकी नियुक्ति ‘अमान्य’ है।
न्यायमूर्ति राजन गुप्ता की पीठ ने कहा कि श्री कुमार संविधान के अनुच्छेद 166(3) का उल्लंघन करते हुए पद पर काबिज हैं। कुमार की नियुक्ति को वकील रमनदीप सिंह ने चुनौती दी थी।
सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि श्री कुमार की नियुक्ति संवैधानिक भावनाओं और स्वीकार्य मानदंडों के प्रतिकूल है। श्री कुमार के नियुक्ति पत्र का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि इससे शर्तों एवं नियमों का उल्लंघन होता है।
2016 में अडिशनल चीफ सेक्रटरी पद से रिटायर हुए सुरेश कुमार को अमरिंदर सिंह ने चीफ प्रिंसिपल सेक्रटरी पद पर मार्च, 2017 में पांच साल के लिए नियुक्त किया था। उन्हें उसी पे-स्केल पर रखा गया था, जो भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रटरी का है। जहां सरकार ने अपना बचाव किया था वहीं कोर्ट ने इस नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया है।
सुरेश कुमार की नियुक्ति को लेकर कई कानूनी सवाल उठे हैं जिसमें सेक्रटरी की नियुक्ति से जुड़ी मुख्यमंत्री की शक्ति भी सवालों के घेरे में है। मुख्यमंत्री का कैडर ऐसा नहीं है जो सेक्रटरी की नियुक्ति कर सकें। न्यायालय ने इस नियुक्ति को संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ पाया है क्योंकि ऐसा राज्यपाल की मंजूरी के बिना किया गया था।
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