फ्रैंकफर्ट : उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने आज कहा कि उनकी तीन लातिन अमेरिकी देशों की यात्रा ने भारत और दुनिया के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के बीच ‘ लंबे समय से उच्च स्तरीय संवाद में कमी ’ की समस्या का निपटारा करने में मदद की है। इससे दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बेहतर करने में मदद मिलेगी जिसका आपस में लाभ होगा। उन्होनें यहां जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में मीडिया से मुखातिब होते हुए यह बात कही। ग्वाटेमाला , पेरू और पनामा की अपनी सप्ताहभर लंबी यात्रा के बाद स्वदेश रवाना होने से पहले उन्होंने यहां मीडिया से बातचीत की। नायडू ने कहा , ‘‘ भारतीय नेताओं द्वारा विश्व के चुनिंदा देशों और क्षेत्रों की उच्च स्तरीय यात्रा करना साझा लाभ के लिए सहयोग बढ़ाने का एक सकारात्मक तरीका है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ पिछले चार साल में भारत ने इसी तरह से संपर्क बढ़ाए हैं और यह यात्रा भी इसी तरह के सोचे- समझे विचार का हिस्सा है। यह भारत के साझा लाभ के लिए संयुक्त प्रयासों वाले एक बेहतर विश्व के दृष्टिकोण का समर्थन करने वाली यात्रा रही। ’’
उपराष्ट्रपति ने तीनों देशों की यात्रा के बारे में कहा कि यह भारत के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा करते हैं। इनके अमेरिका के साथ उच्च स्तरीय संबंध हैं। साथ ही यह क्षेत्र में लाजिस्टिक एवं वित्तीय केंद्रों के रुप में स्थापित हैं। इसके अलावा अन्य उत्तर और दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ भी इनके बेहतर संपर्क हैं। नायडू ने कहा कि ग्वाटेमाला और पनामा की स्थापना के बाद 50 साल के राजनयिक संबंधों के बीच उनकी यह यात्रा वास्तव में दोनों ओर से पहली उच्च स्तरीय यात्रा है। पूर्व राष्ट्रपति के . आर . नारायण ने इससे पहले 1998 में पेरु की यात्रा की थी। नायडू ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी यात्रा से दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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