दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार को निर्देश दिया है कि वह अस्थिरता के कारण अपने राज्य से विस्थापित होकर यहां आये और करीब 13 वषो’ से राजधानी के सरकारी एवं निगम स्कूलों में अनुबंध के आधार पर कार्यरत विस्थापित कश्मीरी शिक्षकों के नियमितिकरण की दिशा में शीघ्र फैसला करे।
न्यायमूर्ति एस रवींद भट्ट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की एक पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से यह सूचना मिलने के बाद कि उसके मंत्रिमंडल ने करीब 180 विस्थापित कश्मीरी शिक्षकों के नियमितिकरण को स्वीकृति दे दी है और इस संबंध में उपराज्यपाल अनिल बैजल की स्वीकृति मिलनी बाकी है, उक्त आदेश दिया।
सरकार ने बताया कि मंत्रिमंडल ने इस साल मध्य जुलाई में यह फैसला लिया था और उपराज्यपाल की स्वीकृति के लिये 24 जुलाई को फाइल उन्हें भेज दिया गया था।
दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संतोष कुमार की ओर से दिये गये बयान पर गौर करते हुए अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि इस संबंध में अंतत: शीघ्र फैसला लिया जायेगा और अदालत ने मामले में सरकार के फैसले तथा आगे की कार्वाई पर रिपोर्ट पेश करने के लिये अगली सुनवायी की तारीख 15 सितंबर तय की।
पीठ वर्ष 2015 में उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली सरकार की अपील पर सुनवायी कर रही थी। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने वर्ष 1994 से राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी एवं निगम स्कूलों में अनुबंध के आधार पर कार्यरत विस्थापित कश्मीरी शिक्षकों के नियमितिकरण का निर्देश दिया था।