पटना : विकास आयुक्त श्री षिषिर सिन्हा की अध्यक्षता में गठित सड़क सुरक्षा से संबंधित उच्चस्तरीय कमिटी ने आज अपना प्रतिवेदन 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में मुख्यमंत्री को समर्पित किया।
उच्चस्तरीय कमेटी द्वारा समर्पित प्रतिवेदन के अवलोकनोपरांत मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि सड़कों की जो संरचनायें हैं, उसमें आवष्यक सुधार सड़क सुरक्षा को देखते हुये निर्धारित समय सीमा के अन्दर सुनिष्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि अब जो भी नयी सड़के बनें, उसमें अंडरपास और फुट ओवरब्रिज की भी जरूरत के मुताबिक व्यवस्था होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि फुट ओबरब्रिज का डिजाइन और स्लोप ऐसा हो कि दिव्यांग व्यक्ति और जानवर भी आसानी से उस पर जा सके।
मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यकतानुसार दुर्घटना स्थलों, ब्लैक स्पाॅटों पर आदेशात्मक, सचेतक एवं सूचनात्मक सड़क चिन्हों का प्रयोग सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जहाँ-जहँा आबादी का घनत्व ज्यादा है तथा अगल-बगल गाँव, स्कूल अथवा बसावट हों एवं आम नागरिक अपनी रोजी-रोटी या जीविकोपार्जन हेतु सड़क पार करते हों, वैसे स्थानों पर संभावित दुर्घटनाओं में कमी लाने हेतु पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग तथा राष्ट्रीय उच्च पथ रैम्प के साथ फुट ओवरब्रिज ;थ्ववज व्अमत ठतपकहमद्ध एवं न्दकमत च्ंेे का निर्माण इस प्रकार करें कि इसका उपयोग सामान्य जन के साथ-साथ दिव्यांग भी कर सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के गंभीर कांडों में वत्र्तमान समय में धारा-304(।) (भा0द0वि0) के अन्तर्गत कांड अंकित किये जाते है, जो जमानतीय धारा है। इसमें अधिकतम 02 वर्ष की सजा का प्रावधान है। न्यायालय द्वारा कभी-कभी मात्र दंड के रूप में जुर्माने की राशि अदा करने के पश्चात दोषी चालकों को मुक्त किया जाता है। इस धारा में आवश्यक सुधार की आवश्यकता है। इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कड़े कानून की अनुशंसाएँ की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विधि विभाग से परामर्श लेकर सजा बढ़ाये जाने हेतु आवश्यक कार्रवाई किये जाने के फलस्वरूप दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे कल के जिम्मेदार नागरिक है। अतः सही समय पर इनके मन में सड़क सुरक्षा के प्रति संवेदनशील भावना जागृत करना आवश्यक है। सड़क हादसों के फलस्वरूप बच्चों पर मुख्यतः मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक प्रभाव पड़ते हैं। ‘‘सड़क सुरक्षा नीति एवं कार्ययोजना’’ के अन्तर्गत सूचना, शिक्षा एवं संचार को महत्वपूर्ण मानते हुये नीति का निर्माण किया जाय ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सके। इस हेतु विद्यालयों में शैक्षणिक कार्यक्रम, विद्यार्थी निकायों एवं संगठनों, एवं अकादमिक संस्थाओं के साथ मिलकर विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता अभियान, प्रिंट एवं दृश्य मीडिया के माध्यम से खतरनाक चालन एवं इससे होने वाले परिणाम की जानकारी, नियमों के पालन हेतु प्रोत्साहन कार्यक्रम का आयोजन करना सुनिश्चित किया जाय।
मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि चालक अनुज्ञप्ति के निर्गमन में मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जाय एवं सुयोग्य चालकों को ही अनुज्ञप्ति निर्गत की जाय ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके। आवश्यकतानुसार कम्प्यूटर बेस्ड सिमुलेटर की सभी जिलों में व्यवस्था की जाय। उन्होंने कहा कि वैसे आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था की जाय, जिससे जुर्माने की राशि की आॅटोमेटिक गणना हो सके तथा इसकी तत्काल सूचना वाहन मालिकों एवं वाहन चालकों को मैसेज के माध्यम से प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि वाहनों के फिटनेस की जाॅच ठीक से हो इसकी व्यवस्था भी सुनिष्चित की जाय। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा हेतु प्रवर्तन तंत्र को भी मजबूत किया जाना आवष्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क से सटे घनी आबादी वाले गाॅंवों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सम्मानित गणमान्य व्यक्तियांे को सड़क सुरक्षा की जानकारी देने एवं दुर्घटना से बचाव हेतु सजग करने के लिए व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता है। स्कूली स्तर के पाठ्यक्रमों में भी सड़क सुरक्षा के संबंध में एक अध्याय सुनिश्चित रूप से होना चाहिए, शैक्षणिक संस्थाओं के वाहनों में गति नियंत्रक उपकरण का अधिष्ठापन, शैक्षणिक संस्थाओं के चालकों का नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण, संगोष्ठी, सेमिनार, वाद-विवाद, प्रतियोगिता का आयोजन, प्रोत्साहन एवं रैली का आयोजन, पंचायत, म्यूनिसिपल वार्ड, प्रखण्ड, जिला एवं राज्य स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना, विद्यालय सुरक्षित परिवहन नीति के अंतर्गत सुरक्षित स्कूल बस परिचालन के लिए विद्यालय प्राधिकारों की जिम्मेवारी निर्धारित करना एवं सड़क किनारे के विद्यालयों के शिक्षकों एवं बच्चों को सड़क पार कराने के लिए मार्गदर्शिका विकसित करने का निदेश दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव जीवन की रक्षा के सर्वोपरि महत्व के संबंध में स्वास्थ्य विभाग की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को आपात चिकित्सा उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग का एक महत्वपूर्ण दायित्व है। ज्ञातव्य हो कि दुर्घटना के एक घंटे के अंदर, जिसे गोल्डेन आवर (ळवसकमद ीवनत) कहते हैं, में आपात चिकित्सा मुहैया करा दी जाती है तो मृतकों की संख्या मंे अप्रत्याशित कमी लाई जा सकती है। अतएव सभी प्रकार के एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाई जाय ताकि सड़क दुर्घटना में घायलों को त्वरित चिकित्सा प्रदान किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कमिटी द्वारा प्राप्त अनुषंसाओं को लागू करने का निर्देष देते हुये कहा कि 12 करोड़ की आबादी वाले 94 हजार किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुये बिहार के अरबन सेमि अरबन और रूरल हर क्षेत्र को ध्यान में रखते हुये कुछ अलग तरीके से सोचने और करने की आवष्यकता है और तभी सड़क सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं में कमी आयेगी।
ज्ञातव्य है कि सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये मुख्यमंत्री के निर्देष पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई थी, जिसमें प्रधान सचिव, गृह विभाग, प्रधान सचिव, शिक्षा विभाग, प्रधान सचिव, पथ निर्माण विभाग, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध अनुसंधान विभाग, सचिव-सह-विधि परामर्शी, सचिव, ग्रामीण कार्य विभाग, सचिव, परिवहन विभाग, राज्य परिवहन आयुक्त, एवं क्षेत्रीय पदाधिकारी, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, बिहार, पटना इसके सदस्य थे।
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