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वित्तीय प्रबंधन में छग अन्य राज्यों से आगे निकला

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रायपुर : चुनावी वर्ष में छत्तीसगढ़ में सरकारी खजाने में बोझ बढ़ने की संभावना है। आगामी वित्तीय वर्ष के आम बजट में रमन सरकार रियायतों की झड़ी लगाएगी। सरकार पर लोन लेकर वित्तीय घाटे की पूर्ति करने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि सरकार ने इन तथ्यों से पूरी तरह इंकार कर दिया है। मुख्यमंत्री कई मौकों पर लगातार दावे करते रहे हैं कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन भी अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर ही रहा है।

क्रिसिल की रिपोर्ट को सरकार ने अपने लिए फायदेमंद माना है। इसके बावजूद विपक्ष ने वित्तीय प्रबंधन को कमजोर होने के दावे के साथ अपने तर्क देते हुए सवाल उठए हैं। यह भी आरोप लगाए हैं कि सरकार मुख्य बजट की राशि तो खर्च नहीं कर पाती वहीं साल में तीन बार अनुपूरक के जरिए फिर राशि मांग कर बेवजह खर्च करती रही है। जबकि जरूरत के हिसाब से पैसों का व्यय नहीं हो रहा है।

विपक्षी दावों के ठीक उलट मुख्यमंत्री मानते हैं कि प्रदेश में वित्तीय प्रबंधन बेहतर होने से ही राज्य ने विकास की दिशा तय की है। वित्तीय प्रबंधन में फोकस करना ही सरकार की दूरदर्शिता को दिखाता है। विकास मूलक कार्यों में ही सरकार ने बड़ी राशि खर्च की है। वहीं अंतिम व्यक्ति तक सुविधाएं देने के लिहाज से ही गति आगे बढ़ाई गई है। सरकार का यह भी दावा है कि पूरे कार्यकाल में उनका फोकस एक तरह से गांव, गरीब और किसान पर रहा है। वहीं राज्य में जीएसडीपी की ग्रोथ में भी तेजी आई है।

आंकड़े ही इसे साबित करने के लिए काफी है। हालांकि विपक्ष ने प्लानिंग के बिना ही बजट बनाने और बेहिसाब राशि खर्च करने का विरोध करती रही है। वहीं गांव, गरीब और किसानों को इससे कोई फायदा नहीं होने के भी दावे किए हैं। इसके बावजूद सरकार इन तथ्यों को नकारते हुए अपने तर्क दे रही है। राज्य में विकास मूलक कार्यों को योजनाबद्ध ढंग से आम लोगों तक पहुंचाने की दिशा में काम हुए हैं। सरकार के इन प्रयाासों को सफलता भी मिली है।

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