केरल के कोझिकोड़ में जानलेवा निपाह वायरस से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 25 लोगों के इस वायरस के चपेट में आने की सूचना है। केरल सरकार ने केंद्र सरकार से इस वायरस से निपटने के लिए मदद मांगी है। इस मामले की संजीदगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सक्रियता दिखाई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आनन-फानन में डॉक्टरों की एक टीम को तैयार करने का निर्देश दिया, जिसे केरल रवाना कर दिया गया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के मुताबिक डॉक्टरों की ये टीम नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक के तहत कार्य करेगी। उनके मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय केरल के स्वास्थ्य विभाग के साथ संपर्क में है।निपाह वायरस एक तरह की संक्रमित रोग है, जो कि एक जानवर से फलों और फिर व्यक्तियों में फैलता है। इससे व्यक्ति की मौत हो सकती है। चिंता की वजह यह है कि निपाह के इलाज के लिए अब तक किसी सटीक इलाज की खोज नहीं हो सकी है।
भारत में निपाह वायरस का हमला पहली बार नहीं है। देश में निपाह वायरस का का पहला मामला वर्ष 2001 के जनवरी और फरवरी माह में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में दर्ज किया गया है। इस दौरान 66 लोग निपाह वायरस से संक्रमित हुए थे। इनमें से उचित इलाज न मिलने की वजह से 45 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, निपाह वायरस का दूसरा हमला वर्ष 2007 में पश्चिम बंगाल के नदिया में दर्ज किया गया। उस वक्त पांच मामले दर्ज किए गए थे, इसमें से पांचों की मौत हो गई थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है। चमगादड़ और फ्लाइंग फॉक्स मुख्य रुप से निपाह और हेंड्रा वायरस के वाहक माने जाते हैं। यह वायरस चमगादड़ के मल, मूत्र और लार में पाया जाता है। आरएनए या रिबोन्यूक्लिक एसिड वायरस परमिक्सोविरिडे परिवार का वायरस है, जो कि हेंड्रा वायरस से मेल खता है। ये वायरस निपाह के लिए जिम्मेदार होता है। यह इंफेक्शन फ्रूट बैट्स के जरिए फैलता है। शुरुआती जांच के मुताबिक खजूर की खेती से जुड़े लोगों को ये इंफेक्शन जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है।
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