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पारिवारिक कलह को लेकर बढ़ी हिंसक वारदातें

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भभुआ : कैमूर में इन दिनों पारवारिक कलह में तेजी आई है। खासकर पति और पत्नी के बीच हो रहे कलह से इसका असर दो परिवार पर तो पड़ ही रहा साथ मे छोटे बच्चे मानसिक तनाव का शिकार हो रहे है। इतना ही नहीं पति पत्नी के बीच बढ़ा विवाद हिंसक रूप भी ले रहा है और इसका खतरनाक परिणाम हत्या और आत्म हत्या के रूप में भी सामने आरहे है। हालांकि ये कोई नई बात नहीं है लेकिन इन दिनों बढ़ते पारिवारिक कलह के बीच खासकर महिलाएं जो शिकार हो रही है उसके अधिक मामले में तेज़ी आई है।

रामगढ़ चांद कुदरा भभुआ में एक हफ्ता के भीतर इसी तरह के मामले सामने आए है। रामगढ़ में तो पत्नी ने दो अपने मासूम बेटों के साथ आत्महत्या कर ली। कुदरा में मनचले पति ने दुसरे से संपर्क के आरोप में पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। दोनो मामले गृह कलह से ही जुड़े है। हालांकि गृह कलह या पारिवारिक कलह बढ़ने के कई कारण है। सास- बहू को अपने नियंत्रण में रखकर अनुशासन करना चाहती है। अपनी आशानुसार उससे कार्य कराना चाहती है। कभी-कभी वह अपने पुत्र को बहका कर बहू की मरम्मत कराती है।

प्राय: देखा गया है कि जहां कोई पुरुष स्त्री को कष्ट देता है तो उसके मध्य में अवश्य किसी स्त्री-सास, ननद या जिठानी रहती है। स्त्रियों में ईष्र्या भाव अत्यधिक होता है। बहू का व्यक्तित्व प्राय: लुप्त हो जाता। कहीं पर पति बहू के इंगित पर नृत्य करता है और उसके भड़कायें से वृद्धा सास पर अत्याचार करता है। वृद्धा से कठिन कार्य कराया जाता है वह धुएं में परिवार के निमित्त भोजन व्यवस्था करती है जबकि बहू सिनेमा देखने या टहलने के लिए जाती है।

सास-बहू के संबंध पवित्र हैं। सास स्वयं बहू को देखने के लिए लालायित रहती है। उसके लिए वह दिन बड़े गौरव का होता है जब घर बहू रानी के पदार्पण से पवित्र होता है। ऐसे झगड़ों में पुत्र का कत्र्तव्य बड़ा कठिन है। उसे माता की मान-प्रतिष्ठा का ध्यान रखना और पत्नी के गर्व तथा प्रेम की रक्षा करनी है। अत: उसे पूर्ण शान्ति और सुहृदयता से कत्र्तव्य भावना को ऊपर रखकर ऐसे झगड़ों को शांत करना उचित है।

प्राय: देखा जाता है कि जहां ननदें अधिक होती हैं या विधवा होने के कारण मायके यहां रहती हैं वहां बहू पर बहुत अत्याचार होते हैं। ननद भाभी के विरुद्ध अपनी माता के कान भरती है और भाई को भड़काती हैं। इसका कारण यह है कि बहिन भाई पर अपना पूर्ण अधिकार समझती है और अपने गर्व, अहं, और व्यक्तव्य को अन्यों से ऊपर रखना चाहती है।

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