चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.7′ रहने का अनुमान वास्तव में उसकी अर्थव्यवस्था की दीर्घावधि संभावनाओं में एक अस्थायी व्यवधान की तरह है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वजह से उत्पन्न हुई समस्याओं के चलते आईएमएफ ने अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि 2017 में 6.7′ रहने का अनुमान जताया है। यह उसके पूर्व के दो अनुमानों से 0.5′ कम है।
इस रपट के जारी होने के बाद आईएमएफ में आर्थिक सलाहकार एवं शोध विभाग के निदेशक मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा, अर्थव्यवस्था में इस साल आया यह धीमापन वास्तव में उसकी दीर्घावधि सकारात्मक आर्थिक विकास की तस्वीर पर एक छोटे से अस्थायी दाग की तरह है। एक प्रेसवार्ता के दौरान यहां विभिन्न प्रश्नों के जवाब देते समय ऑब्स्टफेल्ड भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर आश्वस्त नजर आए। उन्होंने कहा, आम तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हालत में है। सरकार ने पूरी रूर्जा के साथ ढांचागत सुधार लागू किए हैं जिनमें जीएसटी शामिल है। इसका दीर्घावधि में लाभ होगा।
आईएमएफ में आर्थिक सलाहकार मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि भारत को व्यापार की बेहतर शतो’ का लाभ मिला है। साथ ही मानसून के सामान्य होने का भी इसे लाभ मिला है क्योंकि इससे कृषि को फायदा मिला है।
हालांकि इस वर्ष के लिए दो प्रमुख व्यवधान दिखते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें से एक है जीएसटी का लागू किया जाना वह भी विशेषकर जुलाई और अगस्त के महीने में, जिसके कुछ रुकावट पैदा करने वाले प्रभाव देखे गए हैं। आईएमएफ का मानना है कि यह प्रभाव बीत रहे हैं और आप देख सकते हैं कि अगले साल के लिए हमारा आर्थिक वृद्धि (भारत की) का अनुमान रूंचा है, मेरे हिसाब से 7.4’।
उन्होंने कहा कि दूसरी परेशानी है नोटबंदी। इससे अस्थायी तौर पर नकदी की कमी हुई जो अब खत्म हो गई है। अपनी रपट में आईएमएफ ने भारत की वृद्धि की गति धीमे होने की बात कही है जिसकी अहम वजह देश में नोटबंदी और साल के मध्य में जीएसटी लागू करने से छायी अनिश्चितता है। हालांकि जीएसटी से मध्यम अवधि में 8′ की वृद्धि दर पाने में मदद मिलने की उम्मीद है।