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इंदौर को इंदौर ही रहने दो : राहत इंदौरी

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इंदौर,:मशहूर शायर राहत इंदौरी ने मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी का नाम बदलने को सियासी हल्ला करार देते हुए राय जतायी है कि इससे शहर की सेहत और मिजाज पर कोई फर्क नहीं पड़गा। इसका नाम इंदौर ही रहने दिया जाये। राहत साहब ने कहा, इंदौर का नाम बदलने की बहस से इस शहर की तरक्की नहीं होगी। यह बहस सियासी हल्ला भर है, इंदौर को इंदौर ही रहने दिया जाये। शहर का नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, क्या इंदौर को इंदूर किये जाने भर से यह शहर स्मार्ट सिटी बन जायेगा। अगर आप (सरकार) इंदौर को एक आधुनिक शहर बनाना चाहते हैं, तो कुछ और सोचा जाना चाहिये। शहर का नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।

गौरतलब है कि गुजरे बरसों में देश के कई शहरों के नामों में बदलाव के बाद इंदौर के नाम में परिवर्तन की बहस तेज हो गयी है। राहत सवाल करते हैं, देश के कई शहरों से लेकर उनके मोहल्लों, गलियों और चौराहों तक के नाम भी बदल दिये गये हैं, लेकिन मुझे अब तक समझ नहीं आया कि इससे आखिर क्या तब्दीली हुई है। उन्होंने कहा, मद्रास को चेन्नई या कलकत्ता को कोलकाता कर दिया गया, तो इससे भला क्या फर्क पड़ गया बम्बई का नाम बदलकर मुम्बई किये जाने के सन्दर्भ में इंदौरी अपना एक पुराना शेर याद दिलाते हैं, रोशनी को तीरगी (अंधेरा) करते रहे, यह सफर पूरी सदी करते रहे। लोग सूरज तोड़ लाये और हम बम्बई को मुम्बई करते रहे हैं इंदौर से ताल्लुक रखने वाले मशहूर फिल्मी गीतकार स्वानंद किरकिरे का भी मानना है कि इस शहर का नाम बदलकर इंदूर किये जाने की बहस सरासर  बेमानी है।

उन्होंने कहा, मुझे समझ नहीं आता कि हम आगे जा रहे हैं या पीछे जा रहे हैं। जिन लोगों को इस शहर को इंदौर बोलना है, वे इसे इंदौर बोलें। जो लोग इस शहर को इंदूर के रूप में सम्बोधित करना चाहते हैं, वे इसे इंदूर कह लें। शहर के नाम को विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।

मध्यप्रदेश के सबसे बड़ शहर के नाम में बदलाव की बहस 14 नवंबर को शुरू हुई, जब इंदौर नगर निगम के पार्षदों के सम्मेलन में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। वॉर्ड क्रमांक 70 के भाजपा पार्षद सुधीर देड़गे ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए प्रस्ताव रखा जिसमें कहा गया था कि पूर्व होलकर शासकों की राजधानी रहे शहर का नाम बदलकर इंदूरै किया जाना चाहिये। देड़गे का दावा है कि प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के कारण इस शहर का नाम इंदूरै ही रखा गया था।

लेकिन अंग्रेजों के गलत उच्चारण के कारण शहर का नाम इंदोरै पड़ गया जो बाद में और बदलकर इंदौर हो गया।
बहरहाल, नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा कि भाजपा पार्षद के प्रस्ताव पर फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है। जन प्रतिनिधि से कहा गया है कि वह अपने दावे के समर्थन में ऐतिहासिक दस्तावेज पेश करें। इसके बाद विचार-विमर्श के आधार पर उनके प्रस्ताव पर उचित कदम उठाया जायेगा।

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