इशरत जहां एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे को सीबीआई की कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। आपको बता दे कि इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में बुधवार को गुजरात पुलिस के पूर्व डीजीपी पीपी पांडे को कोर्ट ने बरी कर दिया है। अहमदाबाद की एक सीबीआई अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जे के पांड्या ने पांडे को आरोप मुक्त करने की अर्जी इस आधार पर स्वीकार कर ली कि इशरत जहां एवं तीन अन्य के अपहरण एवं उनकी हत्या के संबंध में उनके विरुद्ध कोई सबूत नहीं है। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी और उसने अहमदाबाद अपराध शाखा के तत्कालीन प्रमुख पांडे पर कथित फर्जी मुठभेड़ में शामिल होने का आरोप लगाया था।
उसने यह भी कहा कि गवाहों की गवाही विरोधाभासी है क्योंकि उन्होंने विभिन्न जांच एजेंसियों के सामने अलग अलग गवाही दी। अदालत ने यह भी कहा कि पांडे सरकारी सेवक थे लेकिन सीआरपीसी की धारा 197 के अनुसार उनके विरुद्ध आरोपपत्र दायर करने से पहले जांच अधिकारी ने सरकार से उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं ली।
सीबीआई ने 2013 में अपना पहला आरोपपत्र दायर कर आईपीएस अधिकारी पी पी पांडे, डी जी वंजारा और जी एल सिंहल समेत गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों पर नामजद किया था और उन पर अपहरण, हत्या एवं साजिश का आरोप लगाया था।
सीबीआई ने पूरक आरोपपत्र में आईबी के विशेष निदेशक राजिंदर कुमार और अधिकारी एम एस सिन्हा समेत उसके चार अधिकारियों को नामित किया था। इस पर केंद्र की मंजूरी की अब भी इंतजार है।
अहमदाबाद अपराध शाखा के अधिकारियों ने 15 जून, 2004 को शहर के बाहरी इलाके में महाराष्ट्र के मुम्ब्रा की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, उसके दोस्त जावेद शेख उर्फ प्रणेश, जीशान जोहर और अमजद राणा को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था।
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