पाकिस्तान द्वारा लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन किए जाने के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रह रहे लोगों की समस्याओं पर गौर करने के लिए सरकार ने एक अध्ययन समूह का गठन किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
यह समूह जम्मू कश्मीर में सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों, वहां तैनात सुरक्षा बलों, जिला प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय जन प्रतिनिधियों से भी मिलेगा और दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकार ने अध्ययन समूह के गठन के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। अध्ययन समूह सीमा पार से गोलीबारी के लगातार खतरों के मद्देनजर नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के लोगों की समस्याओं पर गौर करेगा।
गृह मंत्रालय में विशेष सचिव रीना मित्रा के नेतृत्व वाले इस दल में जम्मू कश्मीर के प्रधान सचिव (गृह) के साथ ही जम्मू और श्रीनगर के संभागीय आयुक्त भी सदस्य होंगे। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (जम्मू कश्मीर) समूह के सदस्य-सचिव होंगे।
भारत और पाकिस्तान की सीमा 3323 किलोमीटर लंबी है और इनमें से 221 (रिपीट 221) किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा 740 किलोमीटर नियंत्रण रेखा जम्मू कश्मीर में हैं।
हाल के दिनों में पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम के उल्लंघन की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी है। सेना के आंकड़ों के अनुसार एक अगस्त तक पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम के उल्लंघन की 285 घटनाएं हुयीं जबकि पूरे 2016 में यह संख्या 228 थी।