जम्मू के सुंजवान में सैनिक कैंप पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए 6 जवानों में से 5 कश्मीर के थे। हमले में एक नागरिक की मौत भी हुई है। कुपवाड़ा के रहने वाले शहीद मोहम्मद अशरफ मीर की अंतिम यात्रा जब उनके घर से निकाली जा रही थी तो आस पड़ोस के गांवों के हजारों लोगों का सैलाब सड़कों पर उतर आया। इन जवानों की अंतिम यात्रा में उमड़ा भारी जनसमूह बता रहा था कि कश्मीर के लोगों में आतंक के खिलाफ कितना गुस्सा है। शहीद लांस नायक मोहम्मद इकबाल शेख और उनके पिता को अंतिम विदाई देने के लिए भी करीब 1500 लोग जमा हुए। इसके अलावा अनंतनाग और त्राल में भी शहीदों की यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
सुरक्षा अधिकारियों में जैश-ए-मोहम्मद के हमदर्दों और कार्यकर्ताओं के गढ़ के तौर पर कुख्यात इस त्राल कस्बे के शहीद लांस नायक मोहम्मद इकबाल शेख और उनके पिता ने इस हमले में अपनी जान कुर्बान की और वहां आए लोगों ने नम आंखों से उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया। दक्षिणी कश्मीर के त्राल क्षेत्र के शहीद मोहम्मद इकबाल शेख और हमले में मारे गए उनके पिता मोहिउद्दीन शेख के पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचे तो सभी गमगीन हो गए। इकबाल (32) की पत्नी शबनम का रो-रोकर बुरा हाल था। वह 12 साल से सेना में थे। दो साल पहले ही शादी हुई थी। उनका 18 माह का बेटा है। इकबाल की पहली बार गृह राज्य में पोस्टिंग हुई थी। इसलिए उन्होंने पिता को कैंप में साथ रहने खासतौर से बुलाया था। अनंतनाग में भी यही मंजर था, जब वहां शहीद मंजूर अहमद देवा का पार्थिव शरीर पहुंचा। उन्हें भी हजारों लोगों ने नम आंखों के साथ विदा किया।
उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोलाब व हैहामा में भी शहीद हबीबुल्लाह कुरैशी व मोहम्मद अशरफ मीर को हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी। शहीदों के नमाज-ए-जनाजे में हजारों लोगों ने शामिल होकर नम आंखों से विदाई दी। जनाजे में शामिल लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश देखा गया। इस दौरान पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे गूंजे। जैश-ए-मोहम्मद के प्रभाव वाले त्राल में लोग आतंकियों का खुलकर विरोध करते दिखे। इसी त्राल में 2016 में आतंकी बुरहानी वानी की मौत पर हिंसा भड़क उठी थी। सुंजवां में एक और जवान का शव मिला, कुल छह शहीद सुंजवां में सेना के कैंप पर फिदायीन हमले में शहीदों की संख्या छह हो गई है।
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