नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण का सरकार का फैसला बरकरार है और इस पर सही समय पर अमल किया जायेगा। बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों की घोषणा करते हुये जेटली ने कहा, ‘‘गैर- त्वरित सुधारात्मक कारवाई वाले बैंकों को समर्थन देने के पीछे एक मकसद यह भी है कि इन बैंकों से तेजी से कर्ज दिया जा सके और आर्थिक वृद्धि, कर्ज और अर्थव्यवस्था की बेहतरी में इनका योगदान बढ़े।’’
जहां तक त्वरित सुधारात्मक कारवाई (पीसीए) वाले बैंकों की बात है, उनके मामले में पूंजी समर्थन का मकसद है कि उनकी नियामकीय पूंजी स्तर बना रहे और यही मानदंड आईडीबीआई के मामले में भी अपनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मूल फैसला (आईडीबीआई बैंक के निजीकरण का) बरकरार है। इस बारे में कोई पुनर्विचार नहीं हुआ लेकिन किसी फैसले को अमल में लाने का सही समय देखना होता है।’’ जेटली ने इससे पहले 2016 में कहा था कि भारत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिये तैयार नहीं है। आईडीबीआई बैंक को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों का मौजूदा स्वरूप बना रहेगा।
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