जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बर्बरता को इस्लाम धर्म के उपदेशों के खिलाफ बताते हुए राज्य के लोगों से अपने बच्चों को हिंसा के मार्ग पर जाने से रोकने की अपील की है।
महबूबा मुफ्ती ने आज यहां कहा, ‘खुदा ने हमें जिंदगी शांति और सौहार्द्र के साथ जीने के लिए दिया है, 18 या 20 वर्ष में मारे जाने के लिए नहीं दिया है। मेरा मानना है कि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है।’ उन्होंने केंद्रीय नेताओं से घाटी में खून खराबे को समाप्त करने के लिए सार्थक वार्ता शुरू करने की भी अपील की।
महबूबा मुफ्ती में कल शोपियां में सुरक्षा अभियान के दौरान पांच नागरिकों के मारे जाने पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हिंसा के नित्य चक्र में युवा मारे जा रहे हैं जिनका सकारात्मक योगदान के लिए उपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में सिविल सचिवालय के पुन: खोलने के पहला दिन पुलिसकर्मियों द्वारा दी गई सम्मान गारद की सलामी लेने के बाद कहा, ‘मैं राज्य तथा देश के बाकी हिंसा के लोगों के साथ केंद्र अपील करती हूं कि घाटी में हर दिन मारे जा रहे युवाओं की जिंदगी को बचाने लिए बीच का रास्ता खोजने में मदद करें। आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि वाले परिवारों के युवाओं के हाथों में अधिकतर समय पत्थर और बंदूकें होती हैं।’
उन्होंने कहा कि एक ऐसा रास्ता निकाला जाने चाहिए जिससे न युवक मारे जाए और न ही सुरक्षाकर्मी शहीद हों तथा हिंसा का दुष्चक्र भी समाप्त हो जाए।
उन्होंने केंद्र से हिंसा का चक्र समाप्त करने के लिए सार्थक वार्ता शुरू करने का आग्रह करने की अपील करते हुए जो युवा मारे जा रहे हैं वे हमारे बच्चे हैं।
उन्होंने कहा,’ जितना जल्द हो सके, उतना ही जल्द हम अपने राज्य को हत्याओं और विनाश के दुष्चक्र से बाहर निकाल सकते हैं।’
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