कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में दिल्ली की विशेष सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को तीन साल की सजा हुई है। शेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कोड़ा के करीबी सहयोगी विजय जोशी, पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता, झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव ए.के.बसु को भी तीन साल जेल की सजा सुनाई।
अदालत ने कोड़ा और जोशी पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके साथ ही गुप्ता और बसु दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
अदालत ने 13 दिसंबर को कोड़ा, जोशी, गुप्ता, बसु और निजी कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आपराधिक षडयंत्र और धोखाधड़ी के मामले में दोषी करार दिया था।
आपको बता दे की कैग (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) ने मार्च 2012 में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में तत्कालीन संप्रग सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने 2004 से 2009 तक की अवधि में कोल ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया है। इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कैग रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कई फर्मो को बिना किसी नीलामी के कोल ब्लॉक आवंटित किए थे।
बता दे की पश्चिम सिंहभूम के पाताहातू में एक मजदूर परिवार में पैदा हुए कोड़ा का आरंभिक जीवन बेहद गरीबी में गुजरा। वे ठेका मजदूर रह चुके हैं। 2006 में झारखंड के सीएम बने तो ऐसा पहली बार हुआ, जब भारत के किसी भी राज्य का निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बना हो। इसके लिए उनका नाम लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में भी शामिल किया गया।
जानिए ! पूरा मामला
झारखंड में राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक को कोलकाता की विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को आवंटित करने में कथित अनियमिताओं से संबंधित है। इसमें सीबीआई के आरोपपत्र में मधु कोड़ा, एचसी गुप्ता, ए के बसु, दो लोक सेवक बसंत कुमार भट्टाचार्य, बिपिन बिहारी सिंह, वीआईएसयूएल के निदेशक वैभव तुलस्यान, कोड़ा के कथित करीबी विजय जोशी और चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान का नाम था।
अदालत ने छह दिसंबर के लिए आठ आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया था. जिसके बाद वे कोर्ट में पेश हुए. इसके बाद अदालत ने सभी को जमानत दे दी। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी ( आपराधिक साजिश), 420 ( धोखाधड़ी), 409 ( सरकारी कर्मियों द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज मामले का संज्ञान लिया था और इसके बाद उन्हें आरोपी के तौर पर समन किया था।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि कंपनी ने आठ जनवरी 2007 को राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए आवेदन किया था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रालय ने वीआईएसयूएल को कोयला खंड आवंटन करने की अनुशंसा नहीं की थी। बल्कि 36वीं अनुवीक्षण समिति (स्क्रींनिग कमेटी) ने आरोपित कंपनी को खंड आवंटित करने की सिफारिश की थी।
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