नई दिल्ली : किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर विश्व बैंक ने पाकिस्तान को झटका देते हुए उसे भारत का प्रस्ताव मानने को कहा है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के अनुसार, विश्व बैंक ने लगभग दो साल बाद इस प्रोजेक्ट के लिए तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के भारत के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। वहीं पाकिस्तान मामले को अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में ले जाना चाहता था। इस प्रोजेक्ट के तहत झेलम नदी की सहायक किशनगंगा पर बांध बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
19 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. साल 2003 में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था और पाकिस्तान शुरुआत से ही यह आरोप लगा रहा था कि यह दोनों देशों के बीच हुई सिंधु नदी संधि का उल्लंघन है। इस संधि के तहत दोनों देशों में नदियों का पानी बराबर बांटा जाना तय हुआ था। भारत का कहना था कि यह प्रोजेक्ट संधि के नियमों के तहत ही है। पाकिस्तान ने अपने अटॉर्नी जनरल अश्तर औसफ अली की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल विश्व बैंक से बात करने को भेजा था।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, विश्व बैंक के फैसले को पाकिस्तान नहीं मानेगा क्योंकि इससे पानी से जुड़े अन्य विवादों पर भी असर पड़ेगा और पाक के लिए वे ज्यादा अहम। सिंधु नदी जल संधि से भारत को ब्यास, रावी और सतलज और पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम नदी के पानी का नियंत्रण मिलता है। इसके तहत भारत का कहना है कि किशनगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट में पानी को रोका नहीं जाएगा और इससे पानी की धारा भी कम नहीं की जाएगी। वहीं पाकिस्तान का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से संधि का उल्लंघन होता है।
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