चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने 3 .5 की सजा सुनाई है । साथ ही 5 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है आपको बता दे कि रांची की सीबीआई अदालत से लालू यादव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुनाया । लालू रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।
लालू यादव समर्थकों में इस फैसले से काफी मायूसी है। इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने फैसला सुनाया। ये मामला देवघर कोषागार से 84.54 लाख रुपए की अवैध निकासी से संबंधित है। इसमे 1994-95 के बीच पशुओं के चारा व दवाओं के नाम पर ये फर्जीवाड़ा किया गया था।
बता दे कि सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव अलावा राजेंद्र प्रसाद, सुनील सिन्हा, सुशील कुमार समेत 6 दोषियों को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने लालू पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है जिसे ना भरने पर सजा 6 महीने के लिए बढ़ा दी जाएगी।
इसके साथ ही कोर्ट ने दूसरे दोषी जगदीश शर्मा को 8 साल की सजा के साथ 10 लाख के जुर्माने का फैसला सुनाया। जुर्माना नहीं देने पर जगदीश शर्मा को एक साल की अतिरिक्त सजा का प्रावधान किया है।
इससे पहले लालू सहित मामले के दस अभियुक्तों की सजा पर शुक्रवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान लालू यादव की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होटवार जेल से पेशी हुई। जस्टिस शिवपाल सिंह ने आज (शनिवार को) दोपहर दो बजे से बचे 6 आरोपियों सजा पर सुनवाई की।
लालू यादव को सीबीआई कोर्ट से सजा मिलने के बाद कई राजनेताओं की प्रतिक्रियायें सामने आ रही हैं। इसी कड़ी में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि जुडिशरी ने अपना काम कर दिया। हम सजा को पढ़ने के बाद हाई कोर्ट जाएंगे और बेल के लिए आवेदन देंगे।
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि हम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं, बिहार की राजनीति में यह ऐतिहासिक फैसला है। साथ ही उन्होंने इसे एक अध्याय का अंत बताया है।
जानिए क्या है मामला !
ये मामला साल 1990 से 1994 के बीच का है जब देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकाले गए थे। हालांकि, ये पूरा चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है। जिनमें से एक देवघर कोषागार से जुड़ा केस है। इस समय पर लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा दर्ज किया था।
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