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बड़ी मछलियां बच निकलीं, जाल में फंसे बरसाती मेंढ़क

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बैतूल: चलो पढ़ाये , कुछ कर दिखाये के मूल मंत्र पर निकले जन शिक्षक पढ़ाने के बजाए कुछ कमाने निकल पड़े थे। मध्यप्रदेश – महाराष्ट्र की सीमा से लगे बैतूल जिले की दस जनपदो में से अधिकांश में राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा आरबीसी एवं एनआरबीसी खोले गए थे। इनका संचालन करने वालों की लम्बी – चौड़ी सूची है जिसमें बैतूल जिले के पूर्व कलैक्टर डीएस राय से जुड़े एक तथाकथित एनजीओ सदगुरू वेलफेयर एजूकेशन सोसायटी का भी नाम है जिसके द्वारा जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत फर्जी आवासीय ब्रिज कोर्स (बीआरसी) चलाए गए थे।

वर्ष 2005 से 2014 तक पूरे जिले के दस जनपदों में संचालित आवासीय ब्रिजकोर्स एवं पलायन छात्रावास और गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए थे। जिले में एक जानकारी के अनुसार लगभग 40 से 60 केन्द्रों के लिए राज्य शिक्षा मिशन की ओर से करोड़ों – अरबों रूपयों का अनुदान स्वीकृत कर डाला गया था। करोड़ों की सरकारी रकम के हर वर्ष भौतिक सत्यापन एवं आडीट के बाद दूसरे सत्र की राशि स्वीकृत कर डाली जाती थी लेकिन पूरे मामले में आडीटर से लेकर भौतिक सत्यापन करने वाली एजेंसी और उससे जुड़े लोग सभी जांच के दायरे में आते है तो जिले का सबसे बड़ा शिक्षा घोटाला सामने आ जाएगा।

वर्तमान में बैतूल पुलिस 1.88 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद इस मामले में पुलिस के द्वारा आरोपी बनाए गए जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ एपीसी फायनेंस सहित सभी नामजद आरोपी नौ दो ग्यारह हो गए। बीती देर शाम तक एसडीओपी बैतूल के द्वारा जिला शिक्षा केन्द्र(डीपीसी)कार्यालय में दस्तावेजों की छानबीन की गई,लेकिन अधिकांश रिकार्ड एपीसी फायनेंस के मौजूद न होने से प्राप्त नहीं हो पाया है।

पुलिस और जिला शिक्षा केन्द्र के अधिकारी एपीसी फायनेंस द्वारा दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग की जा रही सरकारी आलमारी का ताला तोड़ने की तैयारी की जा रही है। विभागीय सूत्रों की मानें तो पुलिस और विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में एपीसी फायनेंस के कब्जे में रहने वाली आलमारी का पंचनामा बनाया जाएगा और ताला तोड़कर उसमें मौजूद दस्तावेजों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2005 से लेकर 2014 तक आधा सैकड़ा से अधिक आवासीय और गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए थे। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिले में 50 सीटर से लेकर 100 सीटर के प्रशिक्षण केन्द्रों में सबसे अधिक भीमपुर ब्लाक में खोले गए थे। इन प्रशिक्षण केन्द्रों का कागजों पर जहां संचालन किया जाता रहा वहीं शासन से प्रति छात्र मिलने वाली राशि बेहत शातिर ढंग से पिछले वर्ष के बजट का भौतिक सत्यापन हो जाने के बाद फर्जी तरीके से खोले गए बैंक खातों में कर दिया जाता था।

मुख्यमंत्री से की गई शिकायत की जांच के दौरान जितने दस्तावेज टीम को मिले हैं उससे ही 1.88 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आ गया है। सभी आवासीय और गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्रों के आवंटन और व्यय के दस्तावेजों को खंगाला गया तो करीब 8 अरब रूपये की राशि का हेरफेर सामने आ जाएगा। सीएम से हुई शिकायत में आरोप लगाए गए हैं कि पूर्व डीपीसी जीएल साहू के द्वारा एपीसी वित्त मुकेश सिंह चौहान,सीएसी इंद्रमोहन तिवारी, राघवेन्द्र तिवारी, सुरेश कानठे,सुनील सुनारिया, दिनेश देशमुख, को आरोपी बनाया गया है।

अन्य लोगो में बीएसी एवं सीएसी के रूप में कार्यरत ऐसे लोगो के नाम सामने आ रहे है जिन पर आरबीसी एवं एनआरबीसी के संचालन का दायित्व सौपा गया था। वर्तमान में जिन नामों पर चौक चौराहों पर चर्चा हो रही है उसमें अनिल राठौर,पवन फाटे,सुरेश लोधी,हीरामन यादव,मनोहर नर्रे, नाता सिंह कड़वे, नंदराम पांसे,सुरेश सोलंकी, शरद गीद का नाम प्रमुख है। सबसे अधिक सुनील नंदनवार की भाभी का एनजीओ तनुश्री एजुकेशन वेलफेयर सोसायटी पर 6 आरबीसी संचालन की जवाबदेही थी।

इसी कड़ी में बीएसी आरके विजयकर समेत अन्य ने लोगो ने फर्जी आवासीय और गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र खोलकर सरकारी राशि का गबन करने का आरोप है। निरक्षरता को दूर करने के नाम पर सरकार द्वारा दी जा रही करोड़ों की राशि को डकारने के लिए पूर्व डीपीसी और दर्जनभर से अधिक सीएसी एवं बीएसी ने पूरे जिले में कई वर्षों तक अपना सिक्का चलाया। सीएम से हुई शिकायत में कहा गया है कि सीएसी सुनील सुनारिया को भीमपुर ब्लाक के बजाय शाहपुर ब्लाक के बीजादेही में स्थित केजीबीव्ही में तैनाती दे दी गई और उनके ही रिश्तेदार को सहायक वार्डन बना दिया गया। इसके साथ ही बीआरसी पीसी बोस को चिचोली ब्लाक से हटाकर शाहपुर ब्लाक में पदस्थ किया गया था।

भीमपुर ब्लाक में मेरिट लिस्ट के आधार पर चयनित हुए आरएस भास्कर को मनमाने ढंग से आमला ब्लाक में पदस्थ कर अपात्र बीएसी आरके विजयकर को भीमपुर बीआरसी का चार्ज देकर अनियमितताओं को अंजाम दिया गया। जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत शासन से दी गई राशि को पलीता लगाए जाने के मामले की जांच के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र ने 25 फरवरी 2016 को कलेक्टर बैतूल को पत्र लिखा था।

इस पत्र पर कोई कार्रवाई न होने के कारण 10 अक्टूबर 2016 को राज्य शिक्षा केन्द्र में अपर मिशन संचालक के पद पर पदस्थ रहीं वर्तमान सीईओ शीला दाहिमा ने कलेक्टर बैतूल को पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि सर्व शिक्षा अभियान में बैतूल जिले में जिला परियोजना समन्वयक जीएल साहू एवं मिशन में कार्यरत जन शिक्षकों और अकादमिक समन्वयक द्वारा किए गए व्यापक भ्रष्टाचार की जांच कर प्रतिवेदन आज दिनांक तक अप्राप्त है।

कृपया शिकायत पर समुचित कार्रवाई कर कार्यालय को अवगत कराएं। इसके बाद ही जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू कराई थी। एपीसी वित्त के द्वारा रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। अब जांच अधिकारियों के निर्देश पर आलमारी का ताला तोड़कर दस्तावेज बाहर निकालने का प्रयास करेंगे।

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