सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा के तरीके को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि लीथल इंजेक्शन के जरिए मौत की सजा फांसी की तुलना में ज्यादा नृशंस है। इस लिए मौत की सजा के लिए फांसी ही बेहतर विकल्प है। बात दें, सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या सजा-ए-मौत में फांसी के अलावा कोई और वैकल्पिक तरीका भी हो सकता है। इसके बाद केंद्र सरकार ने SC में हलफनामा दायर किया है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि फांसी की सजा, मौत की सजा के लिए जल्दी और सुरक्षित तरीका है। लीथल इंजेक्शन और फायरिंग के जरिए मौत की सज़ा देना अमानवीय और नृशंस है। केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि फांसी की सजा केवल रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में दी जाती है। लिहाजा फांसी की सजा बेहतर है।
बता दें, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सजा-ए-मौत के मामले में फांसी के अलावा कोई दूसरा तरीका भी तलाश किया जाए, जिसमें मौत शांति से हो, पीड़ा में नहीं। सदियों से ये कहा जाता रहा है कि पेनलेस डेथ की कोई बराबरी नहीं। ऐसे में विज्ञान में आई तेजी के चलते मौत के दूसरे तरीके को तलाशा जाए।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि फांसी की जगह मौत की सज़ा के लिए किसी दूसरे विकल्प को अपनाया जाना चाहिए। फांसी को मौत का सबसे दर्दनाक और बर्बर तरीका बताते हुए जहर का इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, गैस चैंबर या बिजली के झटके देने जैसी सजा देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है फांसी से मौत में 40 मिनट तक लगते हैं, जबकि गोली मारने और इलेक्ट्रिक चेयर पर केवल कुछ मिनट में मौत हो जाती है।
हमारी मुख्य खबरों के लिए यह क्लिक करे