महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की 200 साल पुरानी जंग की बरसी से उपजे तनाव ने मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई शहरों को जातीय हिंसा में झुलसा दिया। जगह-जगह दलित और मराठा समुदाय के बीच झड़प हुई। वही , भारिप बहुजन महासंघ के नेता और बीआर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने हिंसा रोकने में सरकार की विफलता के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आज महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है।वहीं मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
आपको बता दे कि लिहाजा ऐहतियातन मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। प्रदर्शन के चलते राज्य में बस और रेल सेवा पर भी गहरा असर पड़ा है।
वही , प्रदर्शन के चलते प्रशासन ने आज नासिक और औरंगाबाद में स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिया है। हालांकि , मुंबई में आज स्कूल और कॉलेज खुले रहेंगे। मुंबई यूनिवर्सिटी की सभी परीक्षाएं तय समय पर होंगी। उधर, मुंबई में डिब्बेवालों से खाना लेने वालों को आज मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि आज उन्होंने सेवा बंद रखने का फैसला किया है। औरंगाबाद में इंटरनेट सेवा को बंद रखा गया है।
बता दे कि ठाणे रेलवे स्टेशन में आंदोलनकारियों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र बंद से भागती-दौड़ती मुंबई की रफ्तार भी थम गई है। यहां के प्रसिद्ध डब्बावाला असोसिएशन ने अपनी सेवा रद्द कर दी है।
डब्बावाला असोसिएशन के प्रमुख सुभाष तालेकर का कहना है कि परिवहन के साधन कम होने की वजह से समय पर टिफिन पहुंचाना मुश्किल होगा, ऐसे में उन्हें अपनी सेवा रोकनी पड़ी। महाराष्ट्र के ठाणे में 4 जनवरी आधी रात तक के लिए धारा-144 लगा दी गई है। पुणे से बारामती और सतारा तक बस सेवा भी अगले आदेश तक के लिए रोक दी गई है।
प्रदर्शनकारियों के आक्रामक रुख को देखते हुए मुंबई के घाटकोपर के रमाबाई कॉलोनी और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे में सुरक्षा बल तैनात किया गया है। महाराष्ट्र बंद से जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। सड़कों पर वाहन कम होने से लोगों को काम पर जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जानिए, क्या है मामला !
आपको बता दे कि भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सोमवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसके चलते हुई हिंसा की घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई। युद्ध में ईस्ट कंपनी कंपनी के बलों ने पेशवा की सेना को हराया था। दलित नेता ब्रितानियों की जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि माना जाता है कि उस समय अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के लोग ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में सैनिक थे।
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