पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ममता बनर्जी को पैदाइशी विद्रोही बताया है। उन्होंने उस लमहे को याद किया जब ममता ने भरी सभा में तूफान खड़ा कर दिया था और सबके सामने ‘उनको अपमानित कर दिया था।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब ‘द कोएलिशन ईअर्स’ में ममता के व्यक्तित्व का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि ममता की अनदेखी करना असंभव है. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि ममता ने निडर और आक्रामक रूप से अपना रास्ता बनाया और यह उनके खुद के संघर्ष का परिणाम था।
मुखर्जी ने लिखा की ममता बनर्जी जन्मजात विद्रोही हैं. उनकी इस विशेषता को साल 1992 में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव के एक प्रकरण से बेहतर समझा जा सकता है, जिसमें वह हार गईं थी।
प्रणब ने याद करते हुए लिखा कि कैसे ममता ने अचानक अपना दिमाग बदला और पार्टी इकाई में खुले चुनाव की मांग की थी।
पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा है कि ममता बनर्जी सहित पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता संगठन में खुले चुनाव के मुकाबले सर्वसम्मत चुनाव चाहते थे, क्योंकि उससे पार्टी में गुटबंदी हो जाती, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राव ने उन्हें मध्यस्थता करने और इसका कोई हल निकालने को कहा।
प्रणब ने लिखा कि तब उन्होंने एक दिन ममता को बैठक के लिए बुलाया ताकि सांगठनिक चुनाव पर उनके विचारों पर चर्चा हो सके। उस बैठक में अचानक ममता भड़क गईं और प्रणब सहित अन्य नेताओं पर उनके खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए चुनाव की मांग कर दी थी।