भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर ”मुँह में राम, बगल में छुरी” की कहावत को चरितार्थ करने का आरोप लगाते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने दावा किया कि ‘वह बाबा साहेब का नाम तो लेते हैं, लेकिन उनके समाज के लोगों को प्रत्येक स्तर पर पीछे ढकेलने, उनका उत्पीड़न करने का पूरा प्रयास करते हैं।’
मायावती ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वोट के लिए कल मन की बात कार्यक्रम में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, ”पिछले साढ़े चार साल के शासनकाल में उनकी पार्टी और सरकार दलितों और पिछड़ों के मामले में बहुत ढोंग कर चुकी है। अब ढोंग करने से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं होने वाला।”
उन्होंने मोदी सरकार पर दलितों और पिछड़ों के कल्याण का दिखावा करने का आरोप लगाते हुए कहा, ”इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में बाबा साहेब के हमनाम उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर की हार है। जिन्हें भाजपा ने एक धन्नासेठ को पूरे धनबल व सरकारी भय व आतंक का इस्तेमाल करके हराया।”
केन्द्र और भाजपा शासित राज्यों की गलत नीतियों, नोटबंदी, जीएसटी और इनके कारण आयी बेरोजगारी को बसपा-सपा गठबंधन का कारण बताते हुए मायावती ने कहा कि हम निजी स्वार्थ नहीं, बल्कि जनहित में करीब आये हैं। उन्होंने दावा किया कि सपा-बसपा की इन नजदीकियों का पूरे देश में स्वागत किया जा रहा है।
मायावती ने कहा, ”राज्यसभा चुनाव परिणाम के बावजूद सपा-बसपा के बीच जारी तालमेल से भाजपा के लोग बहुत बुरी तरह परेशान हैं। मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि हमारी यह नजदीकी, अपने स्वार्थ के लिए नहीं है। यह जनहित में है।” उन्होंने आरोप लगाया कि दलित आरक्षण की तरह लंबे संघर्ष के बाद आये मंडल आयोग को इन्होंने निष्क्रिय और निष्प्रभावी बना दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में उपेक्षित समाज के लोगों को वापस अंधकार में धकेलने का इनका यह जातिवादी प्रयास लगातार जारी है।
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