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मक्का मस्जिद ब्लास्ट : असीमानंद समेत 5 आरोपियों को बरी करने वाले जज ने दिया इस्‍तीफा

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हैदराबाद में 2007 को हुए मक्का मस्जिद ब्लास्ट के मामले में पांच दक्षिणपंथी हिंदू कार्यकर्ताओं को बरी करने के कुछ घंटों बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत के न्यायाधीश के. रविंदर रेड्डी ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उनके इस इस्तीफे से सभी हैरान है। महानगर सत्र न्यायालय के चौथे न्यायाधीश रेड्डी ने हैदराबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजे अपने इस्तीफे में इसके लिए निजी कारण बताया है। फिलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं हो सकी है कि उनके इस्तीफे का संबंध मस्जिद विस्फोट मामले की सुनवाई से था या किसी अन्य मुद्दे से।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच न्यायाधीशों के बंटवारे के खिलाफ प्रदर्शन करने तथा तेलंगाना में एक अलग उच्च न्यायालय का गठन करने की मांग करने के कारण तेलंगाना न्यायाधीश एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंदर रेड्डी को कुछ अन्य न्यायाधीशों के साथ उच्च न्यायालय ने 2016 में निलंबित कर दिया था। 18 मई, 2007 को प्रतिष्ठित चारमीनार के पास स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान शक्तिशाली विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के 11 साल बाद अदालत ने पाया है कि इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।

अदालत ने असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी को बरी कर दिया है। इन पर एनआईए ने शक्तिशाली विस्फोट करने का आरोप लगाया था। आरोपी में से एक के वकील ने नामपल्ली आपराधिक अदालत के बाहर कहा कि अदालत ने यह माना कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा है। पुलिस को घटनास्थल से दो विस्फोटक भी मिले थे। विस्फोट के बाद मस्जिद के बाहर भीड़ पर पुलिस की गोलीबारी से पांच अन्य लोग भी मारे गए थे। इस मामले में आठ आरोपी थे, जिनमें से एक आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की जांच के दौरान हत्या हो गई थी।

दो अन्य आरोपी संदीप वी. दांगे और रामचंद्र कालसंगरा अभी भी फरार हैं। यह फैसला एनआईए द्वारा दायर आरोपपत्र के संबंध में आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और एनआईए द्वारा कुल तीन आरोपपत्र दायर किए गए थे, जिनमें समय के साथ कई मोड़ आते रहे। गौरतलब है की हैदराबाद बंजारा हिल्स के निवासी कृष्णा रेड्डी ने हैदराबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने जज रवींद्र रेड्डी के खिलाफ एक शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि जज रेड्डी ने जल्दबाजी में जमीन कब्जे के मामले में एक आरोपी को बेल दी थी। याचिकाकर्ता ने इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।

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